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यूपी में ‘अछूते’ बने ओवैसी, नहीं मिल रहा किसी का साथ

प्रमुख खबरें : नई दिल्ली। साल 2022 में उत्तरप्रदेश-पंजाब (Uttar Pradesh-Punjab) समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होना है। चुनावी मैदान में कूदने के लिए राजनीति पार्टियों (political parties) ने अपनी जमीनी जमावट करना शुरू कर दी है। इस बीच देश में के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा (ruling party BJP) को घेरने के लिए विपक्षी दल एक-दूसरे के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्ताहादुल मुस्लिमीन (Asaduddin Owaisi’s party All India Majlis-e-Ittahadul Muslimeen) को बड़ा दिया है। उन्होंने है कि कहा हमारा किसी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का गठबंधन (alliance)नहीं हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि यूपी में तथाकथित ‘सेक्युलर’ दलों (‘Secular’ parties) के लिए असदुद्दीन ओवैसी अछूत बन गए हैं, जिसके चलते बसपा से लेकर सपा और कांग्रेस जैसे दल AIMIM के साथ सूबे में हाथ मिलाने के तैयार नहीं हैं?

ओवैसी से गठबंधन पर मायावती ने लगाया ब्रेक
बिहार की तर्ज पर यूपी में भी AIMIM और BSPके बीच गठबंधन की चर्चाएं चल रही थीं, जिसे बसपा प्रमुख मायावती ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। मायावती ने रविवार को ट्वीट कर कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव (upcoming assembly elections) में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और बीएसपी मिलकर लड़ने की खबरें पूरी तरह गलत, भ्रामक और तथ्यहीन हैं। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है और बीएसपी इसका जोरदार खंडन करती है। मायावती ने आगे कहा कि वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिर से यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी अर्थात अकेले ही लड़ेगी।





ओवैसी से अखिलेश यादव ने बनाया दूरी
असदुद्दीन ओवैसी के साथ यूपी में मायावती ही नहीं बल्कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) भी किसी भी सूरत में हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं जबकि वह सूबे में तमाम छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन के सवाल पर कहा था कि पहले संसद में वह (ओवैसी) हमारे बगल में ही बैठा करते थे, तब इस तरह की राजनीति नहीं किया करते थे। आजकल वो किसके लिए काम कर रहे हैं, यह जगजाहिर है। हम साफ कर दें कि यूपी में हमारा तीन दलों के साथ गठबंधन है। ऐसे में जो भी दल BJP से मिले हुए हैं, सपा उनसे दूरी बनाकर चलेगी। वहीं, कांग्रेस (Congress) पहले ही साफ कर चुकी है कि यूपी में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी।

असदुद्दीन ओवैसी यूपी में चुनावी मैदान में उतरकर मुस्लिम मतों को अपने पाले में लाकर सेक्युलर दलों का सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुस्लिम वोट नहीं भी मिलते तो वो अपनी राजनीति के जरिए ऐसा ध्रुवीकरण करते हैं कि हिंदू वोट एकजुट होने लगता है। ऐसे में तथाकथित सेक्युलर दल अगर ओवैसी के साथ मैदान में उतरे तो उन पर भी मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़े होने का आरोप लगेगा। यही वजह है कि ओवैसी के साथ बिहार, पश्चिम बंगाल और अब यूपी के विपक्षी दल हाथ मिलाने के तैयार नहीं हैं।

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