धर्म

ओणम केरल के खास त्योहारों में से है एक ,जानें क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

ओणम केरल राज्य का प्रमुख त्योहार है। इस साल यह त्योहार 21 अगस्त को मनाया जाएगा। 12 अगस्त से प्रारंभ हो चुका है और इसका समापन 23 अगस्त को होगा।दस दिन तक चलने वाला ओणम का ये त्योहार उत्तर भारत में मनाई जाने वाली दिवाली से कम नहीं है । धार्मिक मान्यता है ओणम यानी थिरुओणम के दिन ही राजा महाबली अपनी समस्त प्रजा से मिलने के लिए आते हैं जिसकी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। इस पावन त्योहार को मनाने के लिए देश-विदेश तक के लोग आते हैं। इस दिन घरों को फूलों और रंगोली से सजाया-संवारा जाता है. इतना ही नहीं, पर्व के दौरान घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। कैलेंडर के मुताबिक़, ओणम का पर्व हर वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। दूसरी ओर, मलयालम कैलेंडर के मुताबिक, यह पर्व चिंगम मास में मनाया जाता है। चिंगम मास मलयालम पंचांग का पहला महीना है। ओणम का पर्व हस्त नक्षत्र से प्रारंभ होता है और श्रवण नक्षत्र तक चलता है।

Onam festival 2021 date, ओणम कब मनाया जाएगा 2021 में
Onam 2021 date/ओणम तिथि: 21 अगस्त 2021, शनिवार

तिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ: 20 अगस्त 2021 रात 09:24

तिरुओणम नक्षत्र समाप्त: 21 अगस्त 2021 रात 08:21

ओणम पर्व का महत्व
ओणम का पर्व केरल राज्य में आस्था के साथ मनाया जाता है। ओणम का पर्व असुर राजा महाबली के आदर-सम्मान में मनाया जाता है। किसान नए फसल के बेहतर उपज के लिए यह पर्व मनाते हैं। इस दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ आयोजित किया जाता है। इसके साथ इस दिन कथकली नृत्य के साथ इस पर्व का लुफ्त उठाया जाता है।

इसलिए मनाते हैं ओणम
कहा जाता है कि ओणम पर्व वहां के राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। मान्यता है कि केरल के राजा बलि के राज्य में प्रजा बहुत ही सुखी और संपन्न थी। इसी दौरान भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनका उद्धार कर दिया। माना जाता है कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने जरूर आते हैं। और उन्हीं के आने की खुशी में ओणम मनाया जाता है। घरों को सजाया जाता है. इतना ही नहीं, यह त्योहार किसानों के लिए बहुत अहम होता है. किसान यह त्योहार अपनी अच्छी फसल होने व अच्छी उपज के लिए मनाते हैं। नई फसल के आने की खुशी में भी ओणम मनाया जाता है।

दस दिनों तक चलता है यह त्योहार
यह त्योहार पूरे दस दिनों तक चलता है। इसके प्रथम दिन को उथ्रादम और दूसरे दिन को थीरुओणम कहा जाता है। यह उल्लास, उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार है। किसान नए फसल के बेहतर उपज के लिए यह पर्व मनाते हैं। इस दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ आयोजित की जाती है। इसके साथ इस दिन कथकली नृत्य के साथ इस पर्व का लुफ्त उठाया जाता है।

रंगोली का विशेष महत्व
ओणम उत्सव की शुरुआत होते ही हर घर को सजाया जाता है। हर घर के आंगन में रंगोली बनायी जाती हैं। जिसे पूलकम कहा जाता है। पहले दिन यह रंगोली छोटी होती है, लेकिन हर दिन के साथ इस रंगोली में एक पंक्ति बड़ा दी जाती है। जिससे दसवें दिन इसका आकार बहुत बड़ा हो जाता है। इस त्योहार पर रंगोली के साथ दीप भी जलाए जाते हैं।

बनते हैं ये विशेष व्यंजन
ओणम पर साध्या थाली बनाने की परंपरा है। इस थाली में 26 तरह के शाकाहारी व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें क्रमबद्ध तरीके से केले के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर खास तौर पर चावल, नारियल के दूध और गुड़ डालकर खीर बनाई जाती है।

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