इस दिन होती है शिव पार्वती पुत्र कार्तिकेय की पूजा,जानिए शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म के अनुसार, प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) का व्रत किया जाता है। इस बार स्कंद षष्ठी 16 जून 2021 को पड़ रही है। यह तिथि शिव-पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय भगवान को समर्पित की जाती है। मुख्य रूप से यह व्रत दक्षिण भारत (South India) के राज्यों में लोकप्रिय है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में खुशहाली की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में।
स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त (Skanda Shashthi auspicious time)
16 जून 2021 दिन बुधवार को स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाएगा।
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि आरंभ- 15 जून 2021 दिन मंगलवार को रात्रि 10 बजकर 56 मिनट से
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि समाप्त- 16 जून 2021 दिन बुधवार को रात्रि 10 बजकर 45 मिनट पर
स्कंद षष्ठी पूजा विधि (Skanda Shashthi Puja Method)
स्कंद षष्ठी के दिन प्रातः जल्दी उठ जाएं और स्नानादि करने के पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लें।
अब भगवान कार्तिकेय के साथ मां गौरी और शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
घी का दीपक प्रज्वलित कर मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से पूजन करें।
अंत में आरती उतारें और क्षमा प्रार्थना करें और पूरे दिन व्रत करें।
संध्या के समय पुनः पूजा के बाद आरती करें और इसके पश्चात फलाहार करें।
स्कंद षष्ठी का महत्व (Significance of Skanda Sashti)
स्कंद षष्ठी पूजा के दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से ग्रह बाधाएं दूर होती है। अगर आपकी कुंडली में किसी तरह का कोई ग्रह दोष है तो इस व्रत को करना बहुत फलदायक होता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। ये पर्व खासतौर पर दक्षिण भारत में मनाया जाता है। दक्षिण में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम (subramaniam) के नाम से जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय का प्रिय फूल चंपा है, इसलिए इस दिन को चंपा षष्ठी (Champa Shashti) भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर (tarakasur) का वध किया था।