धर्म

2 दिसंबर को है महीने का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) हर माह की चतुर्दशी को रखा जाता है। मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है। इस बार प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है। इस माह प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का दोनों ही व्रत 02 दिसंबर को पड़ रहे हैं। इस दिन भगवान शिव का पूजन बहुत फलदायी है। विधि अनुसार प्रदोष का व्रत प्रत्येक हिंदी माह में दो बार पड़ता है, जबकि मासिक शिवरात्रि का पूजन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। इस बार यह बृहस्पतिवार को है तब इसे गुरु प्रदोष कहा जाता है। सनातन हिंदू धर्म के आदि पंच देवों व त्रिदेवों में से एक भगवान शंकर को यूं भी अत्यंत भोला व जल्द प्रसन्न होने वाला माना जाता है। ऐसे में आने वाले दिसंबर के शुरुआती दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत विशेष योग बना रहे हैं।मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत श्रद्धा पूर्वक पूरा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की तिथि, महत्व और मुहूर्त के बारे में।

विशिष्ट संयोग
मान्यता अनुसार प्रत्येक हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है।हिंदी पंचांग के मार्गशीर्ष माह की त्रयोदशी तिथि 1 दिसंबर को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से शुरू हो कर 2 दिसंबर को रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसके बाद से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी जो कि 03 दिसंबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के नियमानुसार प्रदोष व्रत 02 दिसंबर दिन गुरूवार को रखा जाएगा। जबकि शिवरात्रि का पूजन रात्रि में होने के कारण इस माह की शिवरात्रि भी 02 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।

प्रदोष व्रत तिथि
त्रयोदशी तिथि आरंभ -1 दिसंबर, बुधवार को रात 11 बजकर 35 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 2 दिसंबर, गुरुवार को रात 8 बजकर 26 मिनट तक

प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त
मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही करना शुभ होता है। 2 दिसंबर, गुरुवार के दिन पड़ रहे प्रदोष व्रत की पूजा का सही समय शाम 7 बजकर 19 मिनट से लेकर 9 बजकर 17 मिनट तक है।

शिव पूजन का महत्व
प्रदोष व्रत और शिवरात्रि दोनों ही दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रखने और पूजन का विधान है। मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने निराकार से साकार रूप धारण किया था। इस दिन शिव और शक्ति के सम्मिलन का पर्व मानाया जाता है। शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती के पूजन से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष का व्रत और शिवरात्रि का पूजन एक साथ होने के कारण विशिष्ट फलदायी है। इस रात्रि जागरण कर शिव मंत्रों का जाप करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button