2 अगस्त को है सावन का दूसरा सोमवार, शिवजी की पूजा करते समय इन बातों का रखें ख्याल

सावन का दूसरा सोमवार 2 अगस्त को पड़ने वाला है। इस दिन चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र में रहेगा. कृतिका नक्षत्र के स्वामी अग्निदेव हैं. मान्यता है कि कृतिका नक्षत्र में महादेव का पूजन करने से जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है और तमाम बीमारियां और भय दूर होते हैं।ज्योतिष के मुताबिक सोमवार को चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर होगा और यहां राहु पहले से ही विराजमान है। राहु और चंद्रमा से इस दिन ग्रहण योग निर्मित होगा। साथ ही इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बनेगा। सर्वार्थसिद्धि योग को सभी मनोरथ सिद्ध करने वाला मुहूर्त माना जाता है। इस शुभ समय में आप धन से जुड़े काम, जॉब और बिजनेस के जरूरी काम निपटाएं।
सावन के दूसरे सोमवार पर नवमी तिथि
इस बार सावन के दूसरे सोमवार यानि 02 अगस्त को सावन मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि होगी। सनातन धर्म में नवमी की तिथि का खास महत्व है। नवमी तिथि से भगवान राम का भी संबंध है। भगवान राम का जन्म भी नवमी तिथि को ही हुआ था। साथ ही नवमी तिथि को ही माँ सिद्धिदात्री देवी का पूजन किया जाता है। सावन का दूसरा सोमवार नवमी की तिथि पर पड़ रहा है, इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होगा।
कृत्तिका नक्षत्र में होगा सावन का दूसरा सोमवार
सावन का दूसरा सोमवार कृत्तिका नक्षत्र के दौरान पड़ेगा। इस नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में तीसरा नक्षत्र माना जाता है। कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य और राशि के स्वामी शुक्र है। 02 अगस्त को सूर्य कर्क राशि में बुध ग्रह के साथ बुधादित्य योग निर्मित कर रहे हैं। वहीं शुक्र सिंह राशि में मंगल के साथ युति बना रहे हैं। इस नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कर्तिकेय से जुड़ा है। गौरतलब है कि भगवान कर्तिकेय देवताओं के सेनापति की मान्यता दी गई है।
ऐसे करें सावन के दूसरे सोमवार की पूजा
इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें।
माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं.
सावन के सोमवार की पूजा दिन में कभी भी की जा सकती है।
सावन सोमवार में भगवान शिव का अभिषेक जरूर करें। गंगा जल के साथ अभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है।
भगवान शिव को चंदन, अक्षत, बेलपत्र धतूरा या आक के फूल चढ़ाने से पुण्य मिलता है।
इसके अलावा घी, शक्कर गेहूं के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए और बाद में धूप-दीप से आरती करना चाहिए।
धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें।
आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बांटें.
बरतें ये सावधानियां
शिवजी की पूजा करते समय कुछ सावधानियों को बरतना काफी जरूरी होता है। शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए।