अब समंदर में भी चीन को करारा जवाब देगा भारत
भारत को कई मोर्चों पर चीन से बड़े खतरों का सामना करना पड़ रहा है। एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है।

भारत को कई मोर्चों पर चीन से बड़े खतरों का सामना करना पड़ रहा है। एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय नौसेना के लिए परेशानी का सबब बन रही है। आठ परमाणु बैलेस्टिक मिसाइल पनडुब्बी औऱ 12 शांग और हान श्रेणी की परमाणु संचालित हमलावर पनडुब्बियां चीन के सैन्य बेड़े को मजबूती दी है। इसके अलावा चीन दो विमान वाहक पोत के साथ तीसरा भी तैयार होने वाला है, जो जल्द ही समुद्र में गश्त शुरू कर सकता है। ऐसे में भारत भी समुद्र में बड़ी रक्षा तैयारी में जुट गया है।
चीन को भारत देगा जवाब
इंडियन नेवी भी जल्द ही तीन नई हमलावर पनडुब्बियां अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है। इन पनडुब्बियों को खास तौर पर फ्रांस के सहयोग से तैयार किया जाएगा। तीनों पनडुब्बियों में लगे एआईपी को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया जाएगा। और फ्रांसीसी नौसेना समूह इसका परीक्षण करेगा। परीक्षण के बाद इस एआईपी को पनडुब्बियों में लगाया जाएगा। फ्रांस के सहयोग से भारत तीन परमाणु-संचालित पारंपरिक हथियार-सशस्त्र पनडुब्बियों के साथ अपने पनडुब्बी बेड़े को अपग्रेड करना चाहता है। जानकारी के मुताबिक, भारतीय नौसेना की खास जरूरतों के आधार पर तीन एआईपी पनडुब्बियों के निर्माण का ठेका एमडीएल को दिया जाएगा। एमडीएल ने भारतीय नौसेना के लिए फ्रेंच स्कॉर्पीन आधारित छह कलवेरी वर्ग की पनडुब्बियों का निर्माण पहले ही कर लिया है। वहीं, आईएनएस वाग्शीर को मार्च 2024 से पहले नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।