सौंदर्य ही नहीं तिलक को लगाते ही संवर जाता है भाग्य,जानिए इसके ढेरों फायदे
हिन्दू संस्कृति में माथे पर लगाये जाने वाले तिलक का काफी खास महत्व है। पूजा-पाठ से लेकर हर शुभ कार्य के समय तिलक लगाया जाता है। तिलक का संबंध सिर्फ सौंदर्य या शालीनता से नहीं बल्कि आध्यात्मिकता से होता है। एक अर्थों में तिलक हमारी सनातन संस्कृति की निशानी भी है। हिंदू धर्म में इसको काफी शुभ माना गया है। तिलक के कई प्रकार होते है । जैसे लंबा तिलक, गोल तिलक, आड़ी तीन रेखाओं वाला तिलक,आदि। भगवान शिव के साधक त्रिपुण्ड तिलक लगाते हैं। वहीं शक्ति की साधना करने वाले गोल बिंदी की तरह का तिलक लगाते हैं। इसके साथ ही जिस प्रकार तिलक को कई आकार से लगाया जाता है उसी तरह हर रंग का तिलक भाग्य का प्रतीक माना जाता है । आइए जानते हैं कि सनातन परंपरा में माथे पर लगाए जाने वाले किस तिलक का क्या गुण और क्या महत्व है……
तिलक के प्रकार (type of tilak)
तिलक मूलत: तीन प्रकार का होता है.एक रेखाकृति तिलक, द्विरेखा कृति तिलक और त्रिरेखाकृति तिलक.इन तीनों प्रकार के तिलक के लिए चंदन, केशर, गोरोचन और कस्तूरी का प्रयोग किया जाता है.जिनमें कस्तूरी का तिलक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
चंदन तिलक (sandalwood tilak)
माथे पर लगाया जाने वाला चंदन का तिलक हमारे मन को शीतलता प्रदान करता है। चंदन का तिलक लगाने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मन-मस्तिष्क को शीतल बनाए रखने में सफेद चंदन का तिलक अत्यंत प्रभावी होता है। वहीं लाल चंदन के तिलक से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है। लाल चंदन के तिलक के प्रभाव से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है और उसके सभी कार्य शुभता के साथ संपन्न होते हैं। बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं।
भस्म तिलक (Bhasma Tilak)
शैव परंपरा से जुड़े साधु-संत लोग अक्सर अपने शरीर पर भस्म लगाए दिख जाएंगे। भारतीय संस्कृति में पूजा में हवन के बाद हवन की भस्म का तिलक लगाने का प्रावधान है। माथे पर भस्म का तिलक लगाने से ब्रह्मरंध्र और आज्ञाचक्र जागृत होता है। भस्म तिलक के प्रभाव से हमारा मन गलत चीजों से हटकर सात्विकता की ओर जाता है. शनिवार के दिन भस्म का चंदन लगाने से भगवान भैरव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
सिंदूर तिलक (vermilion tilak)
.गणपति बप्पा और श्री हनुमान जी को लगाए जाने वाले सिंदूर का तिलक तमाम तरह की बाधाओं को दूर करता है। किसी भी कार्य में बाधाओं को दूर करके सिद्धि के लिए बुधवार के दिन गणपति के पैर में लगे सिंदूर को माथे पर प्रसाद के रूप से लगाने से सभी कार्य बनते हैं। इसी प्रकार मंगलवार और शनिवार को श्री हनुमान जी के कंधे पर लगे सिंदूर को प्रसाद स्वरूप तिलक लगाने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और शत्रुओं का नाश होता है. नजर दोष दूर करने का भी यह महाउपाय है।
कुमकुम तिलक (kumkum tilak)
हल्दी के चूरन को नींबू के रस से भावना देकर कुमकुम बनाया जाता है। शादीशुदा महिलाएं सौभाग्य की कामना के लिए अक्सर अपने माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं। कुमकुम का तिलक मेधा शक्ति को बढ़ाने और त्वचा रोगों से बचाने का काम करता है।
मृत्तिका तिलक (mrittika tilak)
मृत्तिका यानी मिट्टी का तिलक भी तमाम तरह के गुणों को अपने भीतर समेटे हुए होता है। शास्त्रों में मृत्तिका तिलक की काफी महत्ता बताई गई है। मिट्टी का प्रयोग न सिर्फ शुभता के लिए बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता है।