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Third wave आने का प्रमाण नहीं पर डेल्टा का कोई भी वेरिएंट चिंता का विषय

प्रमुख खबरें: नई दिल्ली। भारत (india)  में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variants of Corona) के कारण आई दूसरी लहर (second wave) के केस कम हुए हैं पर पूरी तरह से केस समाप्त नहीं हुए हैं। इसको लेकर देश के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों (health scientists) ने आगाह किया है कि हमारी सतर्कता कम न हो। लेकिन वैज्ञानिकों ने डेल्टा के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस (Delta Plus) से तीसरी लहर (third wave) की आशंका को खारिज (rejected) कर दिया है।

स्वास्थ्य विज्ञानियों ने कहा है कि कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट  से तीसरी लहर  आने का कोई साक्ष्य नहीं है। इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बॉयोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल (Dr. Anurag Agarwal) ने कहा कि तीसरे लहर की बजाय हमें यह चिंता करनी चाहिए कि कोरोना की दूसरी लहर को कमजोर करने के दौरान हमारी सतर्कता कम न हो। लेकिन इस वैरिएंट का फिलहाल कोरोना की तीसरी लहर से कोई संबंध नहीं दिखता।

अग्रवाल ने कहा कि मेरे संस्थान ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में जून महीने में 3500 से ज्यादा सैंपल की सीक्वेंसिंग (sequencing) की है, जो अप्रैल और मई के भी हैं। इसमें हम देख सकते हैं कि इसमें डेल्टा प्लस (Delta Plus) वैरिएंट भी बहुत ज्यादा है लेकिन यह अभी भी एक फीसदी से कम है।

अग्रवाल का कहना है कि जहां ज्यादा मामले मिले भी हैं, वहां भी वे बहुत ज्यादा नहीं हैं। नए डेल्टा प्लस स्ट्रेन के 40 से ज्यादा केस मिले हैं, जिसे चिंता पैदा करने वाला वैरिएंट करार दिया गया है।





अग्रवाल ने कहा कि डेल्टा का कोई भी वैरिएंट भारत के लिए चिंता (anxiety) का विषय है। लेकिन हमारी सबसे बड़ी चिंता है कि कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और इसको लेकर ढिलाई हमें भारी पड़ सकती है। लेकिन फिलहाल ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट इसके पहले के कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है या फिर ये वैरिएंट कोरोना की तीसरी बड़ी लहर का कारण बन सकता है।

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