इस बीच चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी सेंटर पर पहुंचे है। वैक्सीन पहुंचने पर उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की। साथ ही अधिकारियो को व्यवस्थित तरीके से सभी सेंटर तक वैक्सीन भेजने के निर्देश दिए है। भोपाल डिवीजन के आठ जिलों के लिए 94 हजार डोज आए है। इसमें भोपाल के लिए 36 हजार डोज है।
मप्र में वैक्सीन के 5 लाख डोज का एक हिस्सा पहली खेप के रूप में बुधवार सुबह भोपाल पहुंचा।
भोपाल डिवीजन सेंटर से 24 घंटे में वैक्सीन जिलों में पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया ने कोविशील्ड और भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन तैयार की है। सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि वैक्सीन पहुंच गई है।
भोपाल आने के 4 घंटे पहले सूचना नहीं: कोरोना वैक्सीन पुणे से मुंबई होती हुई फ्लाइट से भोपाल लाई गई।
मुंबई में वैक्सीन लोड होने के 4 घंटे पहले स्वास्थ्य विभाग मध्य प्रदेश को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन अधिकारी जानकारी होने से इनकार करते रहे। इसका मुख्य कारण प्रशासन वैक्सीन के एयरपोर्ट से डिवीजन वैक्सीन सेंटर तक पहुंचने के पहले किसी तरह की जानकारी किसी को देना नहीं चाह रही थी।
प्रशासन ने वैक्सीन को एयरपोर्ट से सेंटर तक पहुंचाने की व्यवस्था पहले ही कर ली थी ताकि इसे किसी बिना परेशानी के जल्द से जल्द सेंटर तक पहुंचाया जा सके।
भोपाल में वैक्सीन रखने के लिए 53 कोल्ड चैन पाइंट बनाए गए हैं। वहीं वैक्सीनेशन के लिए 85 जगह पर 130 टीका करण केंद्र बनाए गए हैं। हर सेंटर पर 126 सेशन वैक्सीनेशन के लिए तय किए गए हैं।
थर्माकोल के बॉक्स में बर्फ के बीच में रखी होगी: जानकारी के अनुसार वैक्सीन पूरी तरह से कोल्ड चैन के माध्यम से डिवीजन सेंटर और फिर जिलों तक भेजी जाएगी। वैक्सीन को 2 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान में रखना है। वैक्सीन को आईएलआर में रखते हैं। इसका तापमान 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रहता है। यह सिस्टम मोबाइल फोन से कनेक्ट होता है। इसमें कोई भी खराबी आने पर एक आॅटो जनरेट रटर आ जाता है। इसमें पूरी जानकारी होती है। फौरन वैक्सीन को निकालकर कर कोल्ड बॉक्स के अंदर आइस पैकेट के बीच में रख दिया जाएगा। इसमें यह 72 घंटे तक सुरक्षित रहती है।