केंद्र ने धोखा दिया, भाजपा हिंदी थोपना चाहती है: नारायणसामी ने सरकार गिरने का ठीकरा केंद्र की मोदी सरकार पर फोड़ा। उन्होंने कहा, पूर्व एलजी किरण बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश की। अगर हमारे विधायक हमारे साथ होते, तो सरकार पांच साल चलती। केंद्र से हमने फंड मांगा था, उसे न देकर सरकार ने पुडुचेरी के लोगों के साथ धोखा किया। सीएम ने यह आरोप भी लगाया कि पुडुचेरी पर हिंदी अपनाने का दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, तमिलनाडु और पुडुचेरी में हम दो भाषाओं को स्वीकार करते हैं, लेकिन भाजपा हम पर जबरन हिंदी थोपना चाहती है।
करीब एक महीने पहले शुरू हुआ था संकट: नारायणसामी सरकार का संकट 25 जनवरी को शुरू हुआ था। उस दिन पीडब्ल्यूडी मंत्री नमस्सिवयम और थीप्पाइंजन ने विधायक पद से इस्तीफा दिया था। तीन दिन बाद ही 28 जनवरी को उन्होंने दिल्ली पहुंचकर भाजपा का दामन थाम लिया। इसके 21 दिन बाद 15 फरवरी को मल्लादी कृष्णा राव ने भी विधायकी छोड़ दी।
15 फरवरी को ही पार्टी के सीनियर लीडर राहुल गांधी हालात संभालने पुडुचेरी पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। उल्टा, अगले ही दिन 16 फरवरी को विधायक जॉन कुमार का भी इस्तीफा हो गया। कांग्रेस के एक विधायक धनवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पिछले साल जुलाई में ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
सरकार संकट में आई तो केंद्र ने उपराज्यपाल को बदला: 16 फरवरी को कांग्रेस के चौथे विधायक का इस्तीफा होते ही केंद्र की मोदी सरकार एक्शन में आई और आनन-फानन में किरण बेदी को उपराज्यपाल पद से हटा दिया गया।
उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को प्रभार सौंपा गया। सुंदरराजन ने सरकार से 22 फरवरी को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।
फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले दो और इस्तीफे: 22 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना था। इससे एक दिन पहले ही कांग्रेस के एक और विधायक लक्ष्मीनारायणन और इसके बाद सहयोगी दल ऊटङ के वेंकटेशन ने भी विधायकी छोड़ दी। इसके साथ ही नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई और उसका सरकार बचा पाना मुश्किल हो गया।
बहुमत साबित करने से पहले वॉकआउट: नारायणसामी ने रविवार शाम को अपने विधायकों के साथ सीएम हाउस में बैठक की। सोमवार सुबह वे विधानसभा पहुंचे। अपनी सरकार की उपलब्धियां और भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार को कोसा। इसके बाद अपने विधायकों के साथ सदन से वॉकआउट कर दिया। कुछ ही देर बाद उन्होंने उपराज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया।