अब भी कुछ लोग पूरी ऊर्जा से अपने परिवार को ही मजबूत करने में लगे हैं। वंशवाद से आगे बढ़े लोगों को लगता है कि अगर उनकी पीढ़ियों के करप्शन का हिसाब नहीं हुआ तो उनका भी नहीं होगा। उन्हें न कानून पर भरोसा होता है और न ही कानून का डर। देश का सामान्य युवा राजनीति में नहीं आएगा, तब तक वंशवाद का यह जहर हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता रहेगा। लोकतंत्र को बचाने के लिए आपका राजनीति में आना जरूरी है।
युवाओं को देश का भाग्य विधाता बनना चाहिए: अपना समय देश की सेवा को दीजिए। विवेकानंदजी कहते थे यह युवा पीढ़ी की सदी है। हमारे युवाओं को आगे आकर राष्ट्र का भाग्य विधाता बनना चाहिए। इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि भारत के भविष्य को निर्धारित करें। पॉलिटिक्स देश को आगे ले जाने का ताकतवर जरिया है। इसे युवाओं की बहुत जरूरत है। पहले कोई नौजवान राजनीति की तरफ बढ़ता था, तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ गया है।
इस पर लड़ाई, झगड़ा, लूट, फसाद और न जाने क्या-क्या लेवल लग गए थे।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में युवाओं पर फोकस: यह समारोह संसद के सेंट्रल हॉल में हो रहा है। इस हॉल में हमारी आजादी के निर्णय लिए गए। मन में कल्पना कीजिए, आप उस जगह बैठे हैं जहां देश के वे महापुरुष बैठे थे। देश से आपको कितनी अपेक्षाएं हैं। यहां बैठे युवा साथियों को यह अहसास हो रहा होगा। स्वामी विवेकानंद ने ऐसी संस्थाओं को आगे बढ़ाया जो आज भी व्यक्तियों का निर्माण कर रही हैं। देश में लागू की गई नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का फोकस भी बेहतर इंडीविजुअल के निर्माण पर है। यह पॉलिसी युवाओं के कौशल, समझ और फैसले को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
विवेकानंद का चिंतन हमारी भावनाओं में: शायद ही कोई व्यक्ति हो जो खुद को स्वामी विवेकानंद से जुड़ा महसूस न करता हो। उन्होंने देश को, उसके सामर्थ्य को, राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया।
आजादी की लड़ाई लड़ने वाले भी कहीं न कहीं स्वामीजी से प्रेरित थे। उनकी गिरफ्तारी के समय स्वामीजी का साहित्य उनके पास जरूर मिलता था। देश आजाद हो गया, लेकिन स्वामीजी आज भी हमारे बीच ही होते हैं। हर पल प्रेरणा देते हैं। उनका चिंतन हमारी भावना में नजर आता है। राष्ट्र को लेकर उन्होंने जो कहा, जन सेवा से जग सेवा का भाव हमारे मन मंदिर में हैं।
युवाओं के लिए ईको सिस्टम बनाया जा रहा है: युवा अपनी प्रतिभा के मुताबिक, खुद को विकसित कर सकें ऐसा ईको सिस्टम बनाया जा रहा है। इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है। स्वामीजी शारीरिक के साथ मानसिक ताकत पर भी बल देते थे। आज फिट इंडिया मूवमेंट हो, योग हो और स्पोर्ट्स से जुड़े इवेंट, युवा साथियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत कर रहे हैं। पर्सनालिटी डेवलपमेंट का उनका मंत्र था, खुद पर भरोसा करो।
वे कहते थे पुराने धर्मों के अनुसार नास्तिक वह है जो ईश्वर में भरोसा नहीं करता, लेकिन नया धर्म कहता है कि नास्तिक वह है जो खुद पर भरोसा नहीं करता।
देश को आत्मनिर्भर बनाना युवाओं की जिम्मेदारी: देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम युवाओं को ही करना है। आप में से कुछ सोच सकते हैं कि अभी तो हमारी इतनी उम्र नहीं है। जब लक्ष्य साफ हो तो उम्र मायने नहीं रखती। शहीद खुदीराम बोस फांसी पर चढ़े तब उनकी उम्र 17-18 साल थी। भगत सिंह फांसी पर चढ़े तब उनकी उम्र सिर्फ 24 साल थी। उन्होंने सोच लिया था कि उन्हें देश की आजादी के लिए ही जीना है। देश के लिए ही मरना है। हम उस काल खंड में जन्मे हैं जहां हमें देश की आजादी के लिए मरने का मौका नहीं मिला। हमें आजाद भारत को आगे बढ़ाने का मौका मिला है। इसे गंवाना नहीं है।
युवाओं के आज के भाषण ट्वीट करूंगा: यहां जब मैं आपको सुन रहा था, तब विचार आया कि आपके भाषण अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करूंगा, ताकि देश को पता चले कि संसद के इस परिसर में हमारा भावी भारत कैसे आकार ले रहा है। मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात होगी कि मैं आज आपके भाषण को ट्वीट करूंगा।;