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नेपाल की शीर्ष अदालत का राष्ट्रपति को निर्देश: देउबा को तत्काल नियुक्त किया जाए पीएम

विदेश: काठमांडू। नेपाल (Nepal) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (President Vidya Devi Bhandari) को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा (Nepali Congress chief Sher Bahadur Deuba) को मंगलवार तक प्रधानमंत्री (Prime minister) नियुक्त किया जाए और पांच महीनों में दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया। न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा (Chief Justice Cholendra Shamsher Rana) के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी का निचले सदन को भंग करने का फैसला असंवैधानिक कृत्य था। इसे वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो समय पूर्व चुनावों की तैयारी कर रहे थे।

पीठ ने मंगलवार तक देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का परमादेश जारी किया। देउबा (74) इससे पहले चार बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अदालत ने प्रतिनिधि सभा का नया सत्र 18 जुलाई की शाम पांच बजे बुलाने का भी आदेश दिया है। प्रधान न्यायाधीश राणा ने कहा कि पीठ इस नतीजे पर पहुंची है कि जब सांसद संविधान के अनुच्छेद 76(5) (Article 76(5) of the Constitution) के तहत नये प्रधानमंत्री के निर्वाचन के लिये मतदान में हिस्सा लेते हैं, तब पार्टी व्हिप लागू नहीं होता।





संविधान पीठ में उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश- दीपक कुमार करकी (Senior most judge- Deepak Kumar Karki), मीरा खडका (Meera Khadka), ईश्वर प्रसाद खातीवाड़ा (Ishwar Prasad Khatiwada) और डॉ. आनंद मोहन भट्टराई (Dr. Anand Mohan Bhattarai) – शामिल थे। पीठ ने पिछले हफ्ते मामले में सुनवाई पूरी की थी। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर 275 सदस्यीय निचले सदन को 22 मई को पांच महीने में दूसरी बार भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।

चुनावों को लेकर अनिश्चितता के बीच निर्वाचन आयोग ने पिछले हफ्ते मध्यावधि चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी। नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress) के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन द्वारा दायर याचिका समेत करीब 30 याचिकाएं राष्ट्रपति द्वारा सदन को भंग किए जाने के खिलाफ दायर की गई थीं। विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर थे और इसमें संसद के निचले सदन को फिर से बहाल करने तथा देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने की मांग की गई थी।

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