ह्रदयविदारक: अशोकनगर में अस्पताल की लापरवाही बनी काल, समय पर आॅक्सीजन न मिलने से तीन की गई जान
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परिजनों का आरोप, डॉक्टर की पर्ची के बाद भी सिविल सर्जन ने काफी देर तक नहीं दिलाया सिलेंडर
अशोकनगर। मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) में आॅक्सीजन (Oxygen) के चलते मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। अस्पतालों में पर्याप्त स्टॉक (Sufficient stock) होने के बाद मरीजों को समय पर आॅक्सीजन नहीं मिल पा रही है। अब ऐसा ही एक हृदयविदारक मामला अशोकनगर जिले का है। जहां अस्पताल (Hospital) में पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद बुधवार को 3 मरीजों को समय पर आॅक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) नहीं मिल पाया और उनकी जान चली गई। सिलेंडर के लिए अस्पताल प्रबंधन (Hospital management) ने प्रक्रिया इतनी लेट कर दी कि परिजन एक घंटे तक परेशान होते रहे। बाद में दौड़ते हुए सिलेंडर लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक मरीजों ने दम तोड़ दिया।
पूरे घटनाक्रम ने जिला अस्पताल (District Hospital) के पूरे मैनेजमेंट (Management) पर सवाल खड़े कर दिए। मृतक के परिजनों ने खुलकर कहा कि बगैर अप्रोच के जिला अस्पताल में सिलेंडर मिलना मुश्किल है। यहां तक की इलाज कर रहे डॉक्टर की पर्ची देने के बाद भी 1 से 2 घंटे तक उन्हें सिलेंडर नहीं मिल पाए।
स्थिति यह है कि मरीज के अटेंडरों की पीड़ा सुनने के लिए ही अस्पताल में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिलते। अस्पताल में हुई मौत के सिविल सर्जन ने कहा कि अटेंडर जो आरोप लगा रहे हैं वो बिल्कुल गलत हैं। प्रक्रिया में इतनी देर नहीं लगती। सिलेंडर भी हैं।
प्रबंधन की लापरवाही
अटेंडर श्रीकांत त्रिपाठी (Shrikant Tripathi) ने बताया कि मंगलवार रात 3 बजे रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) लगने के बाद आज सुबह करीब 5 बजे अचानक तेजी से आॅक्सीजन लेवल गिरने लगा। मौजूद नर्स ने आॅक्सीजन लाने की बात कही। ड्यूटी डॉक्टर अंकुर तारे (Duty doctor sprout stars) ने भी इमरजेंसी में आॅक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए पर्ची लिखी। डॉक्टर की लिखी पर्ची लेकर सुबह करीब 8 बजे जब आॅक्सीजन प्रभारी अमित ठाकुर के पास पहुंचे तो उन्होंने सिविल सर्जन डॉक्टर जसराम त्रिवेदिया को फोन लगाकर मामले की जानकारी दी।
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मोबाइल पर बात करने के बाद आॅक्सीजन प्रभारी ने आॅक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं होने की बात कही। हम परेशान होते रहे, लेकिन सुबह 11 बजे तक सिलेंडर नहीं मिल पाया। इसको लेकर किसी परिचित ने राज्यमंत्री को फोन लगा दिया और राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह (Minister of State Brijendra Singh) का फोन आने के बाद सिविल सर्जन डॉक्टर त्रिवेदीया (Civil Surgeon Doctor Trivedia) ने सिलेंडर ले जाने की बात कही। उस कमरे में आॅक्सीजन से भरे हुए काफी सिलेंडर रखे थे। एक छोटा सिलेंडर उठाकर दौड़ते हुए वार्ड में पहुंचे। लेकिन तब तक बहुत देर हो गई। यदि समय पर आॅक्सीजन सिलेंडर मिल जाता तो यह हादसा नहीं होता।