झारखंड में नक्सलियों ने सीआरपीएफ व दूसरे बलों पर इसलिए हमला कर दिया था, क्योंकि उनका शीर्ष कमांडर प्रशांत बोस, पुलिस की गिरफ्त में आ चुका था। लगभग पांच दर्जन नक्सली, जिनमें सीपीआई (माओवादी) कैडर के कई टॉप कमांडर भी शामिल थे, उन्होंने सीआरपीएफ व लोकल पुलिस पर हमले की साजिश रची थी। हालांकि सुरक्षा बलों ने नक्सली हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोली बारूद जब्त किया गया। एनआईए द्वारा पेश की गई चार्जशीट में यह खुलासा हुआ है।
सुरक्षा बलों पर हमला करने के आरोप में प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन के दो सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोप पत्र दाखिल किया है। यह मामला 2022 का है। झारखंड के रहने वाले रंथू उरांव और नीरज सिंह खेरवार के खिलाफ एजेंसी द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र के बाद अब कुल आरोपियों की 25 हो गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उक्त दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और यूए (पी) एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है।
फरवरी 2022 में एक गुप्त सूचना के आधार पर स्थानीय पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों ने झारखंड के लोहरदगा के बुलबुल वन क्षेत्र में एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया था। उस क्षेत्र में सीपीआई (माओवादी) के कार्यकर्ता अपने शीर्ष कमांडर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए बॉक्साइट माइंस क्षेत्र में एकत्रित हुए थे। उन्होंने सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाई थी। नक्सलियों की बैठक का नेतृत्व उनके क्षेत्रीय कमांडर रवींद्र गंझू ने किया था। उसमें सक्रिय कैडर बलराम उरांव, मुनेश्वर गंझू और दूसरे 45-60 अन्य कैडर के लोग भी शामिल थे। बहाबर जंगल की ओर जाते समय, हरकट्टा टोली और बांग्ला पाट में सुरक्षा बलों पर सीपीआई (माओवादी) कार्यकर्ताओं द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी की गई। इसके बाद सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की व्यापक तलाशी ली। वहां से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किया गया।
झारखंड पुलिस ने इस मामले में शुरुआत में नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद, अगस्त 2023 से मई 2025 के बीच, एनआईए ने 23 लोगों के खिलाफ पांच पूरक आरोप पत्र दाखिल किए। इसमें झारखंड पुलिस द्वारा पहले से ही आरोपित किए गए नौ आरोपी भी शामिल थे। एनआईए द्वारा नई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
एनआईए ने जांच के दौरान पाया कि साजिश का उद्देश्य राष्ट्र की अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को खतरे में डालने और सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से आतंकवादी और हिंसक कृत्य और सशस्त्र विद्रोह करना था। गिरफ्तार आरोपियों, जिनमें जोनल कमांडर, सब-जोनल कमांडर, एरिया कमांडर और सशस्त्र कैडरों के खिलाफ एनआईए द्वारा एकत्र किए गए विश्वसनीय सबूतों से अन्य सीपीआई (माओवादी) कैडरों और जमीनी समर्थकों की मिलीभगत का भी पता चला था। देश में सीपीआई (माओवादी) नेटवर्क को खत्म करने के अपने प्रयासों के तहत एनआईए अन्य सह-षड्यंत्रकारियों की तलाश कर रही है।