मध्यप्रदेश

खंडित मूर्तियों पर MP का सियासी पारा हाई: कांग्रेस के आरोपों पर शिवराज के मंत्री ने बोला जवाबी हमला

भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि 2018 में जब बीजेपी की सरकार थी तो महाकाल लोक का टेंडर हुआ था। उसके बाद में कमलनाथ सरकार के वक्त 7 मार्च 2019 को वर्क आर्डर जारी हुआ। फिर 18 जून 2019 को आर्ट वर्क और मूर्ति लगाने का फैसला लिया गया। जिसमें तकनीकी स्वीकृति भी दी गई।

भोपाल। धार्मिक नगरी उज्जैन में बीते रविवार की शाम चली तेज आंधी से श्री महाकाल लोक में स्थापित कई सप्त ऋषियों की मूर्तियां जमीन पर गिर खंडित हो गई थी। सप्त ऋषियों की खंडित मूर्ति को लेकर मप्र की सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस के बड़े नेता मप्र सरकार पर श्री महाकाल लोक के विकास के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने तो यहां कह दिया है कि भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में महाकाल को भी नहीं छोड़ा। कांग्रेस के इन आरोपों पर अब सरकार की ओर से भी जबावी हमला तेज हो गया हैं।

नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि 2018 में जब बीजेपी की सरकार थी तो महाकाल लोक का टेंडर हुआ था। उसके बाद में कमलनाथ सरकार के वक्त 7 मार्च 2019 को वर्क आर्डर जारी हुआ। फिर 18 जून 2019 को आर्ट वर्क और मूर्ति लगाने का फैसला लिया गया। जिसमें तकनीकी स्वीकृति भी दी गई। इतना ही नहीं 2018 में निकले टेंडर का पेमेंट भी 2020 में कांग्रेस सरकार ने किया था।

जिनकी देखरेख में सब काम हुआ, वहीं लगा रहे आरोप
करीब आठ महीने बाद फरवरी 2020 में इस काम के सिलसिले में जो पेमेंट हुआ, वह कांग्रेस सरकार के वक्त ही हुआ। उस वक्त उज्जैन के प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ही थे। तत्कालीन सीएम कमलनाथ, नगरीय प्रशासन मंत्री और चीफ सेक्रेटरी ने भी सब कुछ देखा था। उसके बाबजूद वही नेता आज आरोप लगा रहे हैं, जिनकी देखरेख में यह काम शुरू हुआ।

यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो कांग्रेस ने ही किया
नगरीय प्रशासन मंत्री विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जब 15 महीने बाद मप्र में दोबारा उनकी भाजपा की सरकार आई, तो सभी कार्य क्वालिटी के साथ हुए हैं। सीपेट की परीक्षण रिपोर्ट भी है। पत्थर की मूर्तियों में अधिक वक्त लगने के साथ उतनी अच्छी फिनिशिंग नहीं आ पाती। इसलिए देश के अन्य हिस्सों में स्थापित की गई एफआरपी मूर्तियों की तर्ज पर महाकाल लोक में में भी एफआरपी की मूर्तियां लगवाई गई। उन्होंने कहा कि इस मामले में यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो यह कांग्रेस ने किया हैं। क्योकि 2020 में पेमेंट उसकी सरकार के वक्त ही हुआ।

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