रीवा के गेहूं की झारखंड-हैदराबाद से आई डिमांड, कीमतों में बड़ा इजाफा होने के आसार
हैदराबाद व उत्तरप्रदेश के लिए गेहूं भेजा जा चुका है। जबकि झारखंड से भी गेहूं की डिमांड रीवा पहुंची है। गौरतलब है कि हर वर्ष रीवा का गेहूं झारखंड, हैदराबाद, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक एवं अन्य राज्यों के लिए भेजा जाता है।
रीवा। समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी बंद होते ही गेहूं के दाम 50 से 70 रुपए प्रति क्विंटल महंगे हो गए। मंडी में कीमत के साथ-साथ गेहूं की आवक भी बढ़ गई है। बताया गया है कि मंडी में इस समय प्रतिदिन औसतन 4 हजार क्विंटल गेहूं की आवक हो रही है। उत्तरप्रदेश और झारखंड के अलावा हैदराबाद से गेहूं की मांग आने पर आने वाले दिनों में और गेहूं की कीमत बढ़ेगी। बताया गया है कि समर्थन मूल्य में गेहूं खरीदी के दौरान करहिया मंडी में गेहूं की कीमत प्रति क्विंटल 22सौ से 2250 रुपए थी, जो अब बढ़कर 2250 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक पहुंच गई है। वहीं दूसरे राज्यों में गेहूं भेजे जाने की वजह से व्यापारी भी किसानों को गेहूं अधिक कीमत पर खरीद रहे हैं।
अब मिल रही अच्छी कीमत
गौरतलब है कि किसानों के पास अभी अच्छी मात्रा में गेहूं का भण्डारण है। सरकार ने किसानों का गेहूं 2125 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर खरीदा था। किसानों ने सरकारी दर पर गेहूं इस वजह से नहीं बेचा कि मंडी में व्यापारियों को अधिक कीमत पर बेचेंगे। सरकारी खरीदी बंद होने के बाद अब किसानों ने घरों में रखा गेहूं निकालना शुरू कर दिया है। जिससे मंडी में गेहूं की आवक बढ़ गई है। हाल ही में मंडी में गेहूं की आवक 22सौ से 25सौ क्विंटल रोजाना थी जो अब बढ़कर 4 हजार क्विंटल तक पहुंच गई है। मंडी अधिकारियों की मानें तो व्यापारी किसानों से गेहूं खरीदकर एकत्र कर रहे हैं। गेहूं जब अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता है तो उसे दूसरे राज्यों में भेज देते हैं। वर्तमान समय में अभी हैदराबाद व उत्तरप्रदेश के लिए गेहूं भेजा जा चुका है। जबकि झारखंड से भी गेहूं की डिमांड रीवा पहुंची है। गौरतलब है कि हर वर्ष रीवा का गेहूं झारखंड, हैदराबाद, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक एवं अन्य राज्यों के लिए भेजा जाता है।
लक्ष्य से अधिक हुई सरसों की खरीदी
जिले में मसूर और सरसों की खरीदी लक्ष्य से ऊपर पहुंच चुकी है। जबकि चना की खरीदी अभी लक्ष्य से आधी बाकी है। गौरतलब है कि पिछले वर्षों में समर्थन मूल्य पर दलहनी और तिलहनी उपज की खरीदी नहीं होती थी जिससे किसानों को इस उपज की व्यापारियों से अच्छी कीमत मिल जाती थी और किसान समर्थन मूल्य पर उपज नहीं बेचते थे। किंतु इस बार मंडी में इन उपज की कीमत कम है जिससे किसान समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेच रहे हैं। बताया गया है कि चना के लिए 2 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य लिया गया था, जिसके विरुद्ध 2 हजार मीट्रिक टन से अधिक खरीदी हो चुकी है। जबकि मसूर के सौ मीट्रिक टन के विरुद्ध 434 मीट्रिक टन की खरीदी हुई है। इसके अलावा सरसों के 1500 मीट्रिक टन के विरुद्ध 1506 मीट्रिक टन की खरीदी हो चुकी है। बताया गया है कि इस बार चना का समर्थन मूल्य 5335 रुपए, मसूर का 6 हजार और सरसों का 5450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। वहीं मंडी में किसानों को इन दलहनी और तिलहनी उपज की कीमत व्यापारियों से नहीं मिल पा रही है।