मप्रः चुनावी साल में भाजपा-कांग्रेस के लिए अपने ही बन सकते हैं बाधक !
मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसके लिए भाजपा और कांग्रेस ने अभी से पूरी ताकत झोंक दी है।

मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसके लिए भाजपा और कांग्रेस ने अभी से पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों पार्टियां जीत के लिए हर तरह का ताना-बाना बुन रही हैं। भाजपा गुजरात फॉर्मूले को एमपी में भी हिट करना चाहती है। जिसके तहत कई दिग्गजों का टिकट दांव पर लगा हुआ है। तो वही कांग्रेस भी सर्वे के मुताबिक इस बार टिकट देने का प्लान तैयार कर रही है। कांग्रेस के इस सर्वे के अनुसार भी कई नेताओं के टिकट कट सकते हैं। लेकिन इसी बीच एक इंटरनल सर्वे ने भाजपा और कांग्रेस दोनों की धड़कने बढ़ा दी है। या यूं कहे कि अब इस सर्वे ने दोनों दलों के लिए अपनों से ही खतरे की घंटी बजा दी है। बीजेपी-कांग्रेस अपनों को मनाने की तैयारी में हैं। क्योंकि चुनावी साल में उनके अपने ही बाधक बन सकते हैं?
टिकट कटी तो होगी बगावत
दरअसल भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में टिकट के लिए कई नेता कतार में खड़े हैं। जिनमें से कई नेताओं का टिकट कट सकता है। लेकिन इस इंटरनल सर्वे में ये बात सामने आई है कि टिकट के लिए जो नेता कतार में खड़े हैं। अगर उनको टिकट नहीं मिलता है। तो वो बागी हो सकते हैं। खासतौर पर कांग्रेस पार्टी इस संभावित बगावत को देखते हुए ज्यादा चिंतित हो गई है, इसलिए कमलनाथ ने पीसीसी दफ्तर से जिला अध्यक्षों को इंटरनल पार्टी से जुड़ी हर बैठक में नाराज नेताओं को बुलाने के साफ निर्देश दिए हैं, तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी 2018 की तरह 2023 में न फंस जाए। इसलिए आरएसएस और पार्टी के सीनियर नेता एक्टिव हो गए हैं। बता दें कि मालवा-निमाड़ जिसे सत्ता का रास्ता कहा जाता है। वहां पर सामंजस्य बिठाने का दौर शुरू हो गया है।
2018 में अपनों से हारी थी भाजपा
2018 में बीजेपी को सबसे ज्यादा अपनों के ही बागी होने से झटका लगा था। कई सीनियर चेहरे चुनाव में या तो निर्दलीय खड़े हो गए थे या फिर बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इसी के चलते बीजेपी की 15 साल की सरकार चली गई थी। अब ऐसे में भाजपा ऐसा कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। इसलिए कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी अपनों को मनाने की पूरी तैयारी कर ली है।