कवायद: मप्र बोर्ड आफलाइन कराएगा 12वीं की परीक्षा, खाका खींचने में जुटा शिक्षा विभाग

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education) ने 12वीं कक्षा यानी हायर सेकंडरी (Higher secondary) की परीक्षा कराने की कवायद में जुट गया है। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने कहा कि मध्यप्रदेश में 12वीं की परीक्षा आफलाइन मोड (Offline mode) से होगी। पहली, परीक्षा आफलाइन जबकि दूसरी, परीक्षा जुलाई में होगी। इसको लेकर जून के पहले हफ्ते में बैठक होगी। इसमें पेपर का पैटर्न, परीक्षा की अवधि, प्रश्न पत्र की अवधि को लेकर निर्णय होगा।
दरअसल, विभाग CBSE द्वारा 1 जून को घोषित किए जाने वाले टाइम टेबल का इंतजार कर रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि CBSE परीक्षा और एमपी बोर्ड की परीक्षा के खत्म होने में 8 दिन से ज्यादा का अंतर नहीं रखा जाएगा। इसका कारण NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का होना है। बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी इनमें शामिल होते हैं। एमपी बोर्ड (Mp board) की परीक्षा को लेकर विभाग के समक्ष कई विकल्प पर है। इनमें गुजरात और छत्तीसगढ़ मॉडल भी शामिल हैं। सीबीएसई का जोर है कि सिर्फ प्रमुख विषयों की ही परीक्षा ली जाए।
समझें क्या है गुजरात और छत्तीसगढ़ मॉडल
गुजरात में मल्टीपल क्वेश्चन (Multiple questions) यानी सौ फीसदी आब्जेक्टिव टाइप प्रश्न (Objective type question) और डेढ़ घंटे का पेपर रहेगा। शैक्षणिक विश्लेषक रमाकांत पांडे कहते हैं कि मध्य प्रदेश में यह मॉडल अडॉप्ट करना संभव नहीं है। यहां पहले से क्वेश्चन बैंक (Question bank) के हिसाब से ब्लू प्रिंट तैयार है। मल्टीपल क्वेश्चन तैयार करने में वक्त लगेगा। छत्तीसगढ़ मॉडल में है कि पालक या विद्यार्थी में से कोई स्कूल आए और क्वेश्चन आंसर की कॉपी ले जाएं। घर पर हल करके वापस स्कूल में जमा कर दें। यहां यह भी संभव नहीं लग रहा।
जून में होने वाली बैठक में इन बिंदुओं पर होगी चर्चा
- हिंदी, अंग्रेजी छोड़ सिर्फ प्रमुख विषयों की ही परीक्षा ली जाए
- परीक्षा की अवधि आधी करके दस ग्यारह दिन रखी जाए
- 20से 30 जून तक परीक्षा करा ली जाए
समझे आनलाइन परीक्षा संभव क्यों नहीं
प्रदेश में विभाग के पास ऐसे संसाधन उपलब्ध नहीं हैं जिनसे परीक्षा आनलाइन (Exam online) ली जा सके। इस पर विचार किया जा चुका है। इस दौरान यही निष्कर्ष निकला। शहरी क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में 12वीं के 30 फीसदी विद्यार्थियों या उनके अभिभावकों के पास Android mobile फोन नहीं है। यदि किसी के पास हैं भी तो नेटवर्क और डाटा का संकट है।