जबलपुर। मध्यप्रदेश में रबी फसल की बुवाई का काम जोरों पर जारी है। लेकिन सूबे के कई जिलों के किसानों को खाद के लिए खासा परेशान होना पड़ रहा है। समितियों में खाद के लिए रात-दिन लाइन में लगे रहने के बाद भी किसानों को निराश होकर घर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। खाद संकट का सबसे बड़ा कारण कालाबाजारी है। हालांकि सरकार ने खाद की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने का आदेश दिया है, इसके बावजूद भी किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ा रहा है। अब इससे जुड़ी जबलपुर से भी खबर सामने आई है। यहां के किसानों को मटर और गेहूं की बुवाई करने के लिए डीएपी खाद के मशक्कत करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं, अब किसानों का प्रशासन के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जो किसी भी दिन विकराल रूप ले सकता है।
खरीदी केन्द्रों पर खरीदी केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी कतार देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि यहां पर खाद की सबसे बड़ी समस्या कालाबाजारी के चलते हुए बनी है। निजी व्यापारी बढ़े दामों पर खाद बेच रहे है। वहीं नकली खाद भी धड़ल्ले से बेचने की आशंका है। किसानों का कहना है कि जो खाद सरकारी खरीदी केंद्रों पर मिलनी चाहिए तो वहीं खाद निजी व्यापारियों के यहां पर मिल रही है। निजी व्यापारी मौके का फायदा उठाकर 1350 रुपए की खाद की बोरी 1800 से 2000 रुपए में बेच रहे हैं। घंटो लाइन में लगने के बाद बम मुश्किल कुछ किसानों को तीन से चार बोरी खाद मिल रही है, लेकिन कुछ किसान खाली हाथ लौट रहे हैं।
मटर और गेहूं की बुवाई का चल रहा सीजन
आपको बता दें कि अभी मटर और गेहूं की बुवाई का सीजन चल रहा है और ऐसे में खाद की कमी से चलते किसान खासे परेशान है। वहीं कुछ जानकारों का कहना कि एकाएक किसानों के खरीदी केंद्र पर पहुंचने से भी खाद की किल्लत सामने आ रही है। यह हाल तब है जब कुछ दिन पहले ही जबलपुर में 2780 मीट्रिक टन डीएपी पहुंचा था। इसके बावजूद किसानों को डीएपी में मिलने में दिक्कत आ रही है।