धर्म

31 जुलाई को मनाई जाएगी मासिक कालाष्टमी,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कालाष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है. कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है । जुलाई माह में 31 जुलाई को कालाष्टमी पड़ रही है। सबसे मुख्य कालाष्टमी जिसे कालभैरव जयन्ती के नाम से जाना जाता है। एक साल में कुल 12 कालाष्टमी पड़ती हैं. सबसे बड़ी कालाष्टमी कालभैरव जयंती के दिन मनाई जाती है.ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव उसी दिन भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। सनातन परंपरा में तमाम तरह की देवी–देवताओं की पूजा करने का विधान है लेकिन इसमें शीघ्र ही प्रसन्न होकर सभी आपदाओं से बाहर निकालने वाले देवता का नाम भगवान भैरव है। देवों के देव महादेव का अवतार माने जाने वाले भगवान भैरव की कृपा से जीवन का बड़ा से बड़ा संकट कट जाता है। कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं।

कब और कैसे करें काल भैरव का पूजन
अक्सर लोग इस भ्रम में रहते हैं कि भैरव एक उग्र देवता हैं, इसलिए उनकी साधना नहीं करना चाहिए. जबकि यह पूरी तरह से गलत है। दरअसल भगवान भैरव की उग्र और सात्विक दोनों तरह से साधना होती है। इसमें उग्र साधना वाममार्गी होती है। अमूमन लोग उनकी सात्विक साधना ही किया करते हैं। बहरहाल, भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए आप किसी भी दिन उनके नाम का जप, पूजन आदि कर सकते हैं लेकिन कालाष्टमी और रविवार के दिन उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस​दिन आप विधि–विधान से उनकी पूजा करते हुए भगवान भैरव के नीचे दिये गये हुए मंत्र का जप करें।

मासिक कालाष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त
श्रावण, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ – 05:40 ए एम, जुलाई 31
समाप्त – 07:56 ए एम, अगस्त 01

मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि
इस दिन भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए. कालाष्टमी के पावन दिन पर कुत्ते को भोजन कराना चाहिए. ऐसा करने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं भैरव बाबा का वाहन कुत्ता होता हैं इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन कराने से विशेष फल की प्राप्ति भक्तों को होती हैं।

शत्रुओं से बचने के लिए
यदि आपको हर समय शत्रुओं का खतरा बना रहता है तो आपके लिए भैरव साधना संजीवनी का काम करेगी। शत्रुओं से जुड़े भय को दूर करने के लिए आप बटुक भैरव की साधना करें।

मुश्किलों से निकलने के लिए
जीवन से जुड़ी कैसी समस्या या परेशानी हो, भगवान भैरव की कृपा मिलते ही वह चमत्कारिक रूप से जल्द ही दूर हो जाती है। यही कारण है कि भगवान भैरव के बटुक रूप को ‘आपदुद्धारक‘ कहा जाता है।

राहु-केतू के कष्ट दूर करने के लिए
ज्योतिष के अनुसार राहु के रोड़े और केतु के कष्ट को दूर करने के लिए भगवान भैरव की साधना अत्यंत लाभदायक है। इसलिए यदि आपकी कुंडली में राहु–केतू अशुभ फल प्रदान कर रहे हों तो आप उनकी अशुभ दशा से बचने के लिए विशेष रूप से भगवान भैरव की साधना करें।

 

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