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वैज्ञानिकों का दावा: कोरोना से बचाव के लिए सूती कपड़े से बना मास्क ज्यादा प्रभावशील

नई दिल्ली । महामारी के बीच मास्क हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। कोविड-19 से बचाव के लिए इन पर विश्वभर में रोचक अध्ययन भी हो रहे हैं। अब विभिन्न सामग्री से बने मास्क का माइक्रोस्कोप से अध्ययन कर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सामान्य बचाव के लिए सूती कपड़े से बने मास्क सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं।

इनकी बनावट सूक्ष्म स्तर पर बेहद कसी हुई है। इसके मुकाबले शिफॉन, पॉलिस्टर, रेयॉन या दूसरे कृत्रिम रूप से बने सिंथेटिक फाइबर के मास्क ढीले हैं, और सांस के साथ शरीर के भीतर दाखिल होने वाले ज्यादा कण नहीं रोक पाते। 12 से अधिक प्रकार के मास्क के इस अध्ययन के लिए अमेरिका के मैरिलैंड स्थित स्मिथ सोनियन म्यूजियम कन्वर्शेसन संस्थान के वैज्ञानिक एडवर्ड विसेंजी व उनकी टीम ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया। एडवर्ड के अनुसार, 50 माइक्रॉन (0।001 मिलीमीटर) जितने सूक्ष्म आकार पर किसी भी फैब्रिक द्वारा तत्वों को फिल्टर करने की क्षमता को परखा गया।





इसमें सूती कपड़े, सिंथेटिक फाइबर सहित कॉफी फिल्टर, तकिये के कवर, एन95 व सर्जिकल मास्क भी शामिल थे। इन सभी में एन95 एयरोसोल रोकने में सबसे कारगर मिला। वहीं कोविड-19 वायरस को रोकने में सूती कपड़े का बना मास्क भी सामान्य बचाव के लिए काफी प्रभावशाली पाया गया।

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सूती इसलिए ज्यादा प्रभावी
सूती कपड़े की तंतुओं में बनावट में झुर्रियां होती हैं, कई गांठें, मोड़ व परतें भी होती हैं, जो आंखों से न दिखने वाले नैनो पैमाने के कणों को भी पार नहीं जाने देते। जबकि कृत्रिम कपड़ों से बने मास्क के तंतु सीधे, सपाट व चिकने होते हैं, इन्हें मास्क की तरह उपयोग करना उतना फायदेमंद नहीं है।

नमी भी सोखता है सूती मास्क
सूती कपड़े का मास्क नमी भी सोख लेता है। यह नमी सांस की हो सकती है और कपड़े का मोटापन बढ़ा देती है। इससे कणों का पार जाना और मुश्किल हो जाता है। जबकि सिंथेटिक फाइबर पानी को सोख नहीं पाते।

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