फिंच के दर्दीले पिंच से भारत की वित्तीय साख को यूं मिली कुछ राहत
फिच रेटिंग्स ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की साख में गिरावट का जोखिम घटा है क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि की मध्यकालीन संभावनाओं का संकट कम हुआ है। अर्थव्यवस्था की हालत तेजी से सुधरी है तथा भारत के वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियां कम हुई हैं। यद्यपि वैश्विक जींस बाजार में कीमतों की उछाल से देश के सामने चुनौती बनी हुई है।
एजेंसी ने, वैसे भारत की एक देश के रूप में वित्तीय साख बीबीबी ऋणात्मक के वर्तमान स्तर पर बनाए रखा है ।
फिंच ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार का क्रम तेज बना हुआ है।
इससे से पहले मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भी भारत के आर्थिक परिदृश्य के अपने अनुमानों को पहले से अच्छा किया। इससे भारत के नीति निर्माताओं पर एक ऐसे समय में दबाव कम होगा जबकि रूस और यूक्रेन के युद्ध से पैदा हालात के बीच स्थितियां चुनौतीपूर्ण हुई हैं।
फिच ने भारत के आर्थिक परिदृश्य का आकलन करते हुए देश के विदेशी मुद्रा भंडार और बुनियादी संकेतकों पर गौरव किया है । फिंच ने उल्लेख किया है कि मार्च 2022 में समाप्त वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था ने 8.7 प्रतिशत की मजबूती वृद्धि दर्ज की । उसने चालू वित्त वर्ष 2022 – 23 में भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी किया है। मार्च में उसने इसके 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था ।
फिच का कहना है कि विश्व बाजार में जींस की कीमत में उछाल के आघात से वृद्धि दर में सुधार की संभावनाएं प्रभावित हुई हैं। फिच का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कि मध्यकालीन संभावनाएं अन्य समकक्ष देशों की तुलना में बेहतर हैं और इससे देश की वित्तीय साख को दो तरफा समर्थन समर्थन मिलता है।
उसका अनुमान है कि 2022-23 में भारत में मुद्रास्फीति औसतन 6.9 फीसदी के ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी ।एजेंसी ने बताया है कि मुद्रास्फीति का यह दबाव विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में जींस के दाम में तेजी के कारण बढ़ है, साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग भी मजबूत चल रही है।