सत्ता-विपक्ष के लिए नाक का सवाल बनी मैहर सीट, कांग्रेस की नजर नारायण पर, भाजपा असमंजस में
भाजपा के साथ होने के बावजूद भाजपा के साथ नहीं होेने वाले नारायण त्रिपाठी आगामी विधानसभा चुनाव में ‘वीजेपी’(विंध्य जनता पार्टी) के बैनर तले चुनावी मैदान में जाने की तैयारी में हैं, ऐसे में भाजपा और उसके कार्यकर्ता विधायक को लेकर अभी असमंजस्य में हैं, तो दूसरी ओर एक बार फिर से सत्ता में वापसी का ख्वाब देख ही कांग्रेस उनके हर एक मूवमेंट पर नजर गढाए बैठी है।

सतना। मध्यप्रदेश में चर्चित चुनिंदा विधानसभा सीटों में से एक जिले की मैहर विधानसभा सीट भी है। मैहर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए नाक का सवाल बनी हुई है,पर इन दोनों ही राजनैतिक दल से इतर क्षेत्र के मौजूदा विधायक अलग ही राग अलाप रहे हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी अपने बयानों व पत्रों से जहां अक्सर केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते नजर आते हैं,तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा संगठन अक्सर उनसे दूर खड़ा नजर आता है।
कुल मिलाकर भाजपा के साथ होने के बावजूद भाजपा के साथ नहीं होेने वाले नारायण त्रिपाठी आगामी विधानसभा चुनाव में ‘वीजेपी’(विंध्य जनता पार्टी) के बैनर तले चुनावी मैदान में जाने की तैयारी में हैं, ऐसे में भाजपा और उसके कार्यकर्ता विधायक को लेकर अभी असमंजस्य में हैं, तो दूसरी ओर एक बार फिर से सत्ता में वापसी का ख्वाब देख ही कांग्रेस उनके हर एक मूवमेंट पर नजर गढाए बैठी है। कांग्रेस के सूत्रों व जिम्मेदारों के दावे पर भरोसा करें तो अंत में नारायण त्रिपाठी कांग्रेस के साथ आएंगे।
मैहर सीट को तीन बार ही जीत सकी है भाजपा
बहरहाल यदि मैहर के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1952 से 2018 तक लगभग साढे 6 दशक में 16 चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार कांग्रेस को विजय मिली है, जबकि धार्मिक नगरी मैहर में अब तक सिर्फ तीन बार भाजपा को जीत का मौका मिला है। इस बीच 1998 के बाद से मैहर में कांग्रेस का ग्राफ बड़ी तेजी के साथ गिरा है और लगातार गिरता जा रहा है। ऐसे में दोबारा मैहर में कांग्रेस की वापसी के लिए पार्टी को यहां किसी दमदार चेहरे की आवश्यकता है,जो फिलहाल पार्टी के अंदर नजर नहीं आ रहा है।
23 साल और 6 चुनाव बाद भाजपा को मिली थी सफलता
मैहर विधानसभा सीट में भले ही पिछले दो चुनावों में भाजपा जीत रही हो लेकिन यहां भाजपा को पहली सफलता पार्टी के गठन के 23 साल और 6 चुनाव बाद मिली थी। 1997 में मैहर से जनता पार्टी से नारायण सिंह विजयी हुए थे, उसके बाद 1980 से 2008 तक हुए 7 चुनावों में से पार्टी को 6 चुनावों में पराजय ही मिली थी। 2008 में पहली बार मैहर में भाजपा की टिकट पर मोतीलाल तिवारी विधायक चुने गए थे। 1980 से 2003 तक भाजपा उम्मीदवारों को मैहर में दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान ही मिलता रहा है। 1993 व 2003 में भाजपा उम्मीदवारों का चौथा स्थान मिला था।
तीन अलग-अलग पार्टियों से किया प्रतिनिधित्व
मैहर की राजनीति का केन्द्र बिन्दु बने विधायक नारायण त्रिपाठी अक्सर अपने स्टाइलिश कपड़ों को लेकर चर्चा में रहते हैं, ठीक वैसे ही वे पार्टियां बदलने के लिए भी चर्चा में रहते हैं। अब तक मैहर विधानसभा क्षेत्र का तीन अलग -अलग पार्टियों से वे प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पहली बार नारायण त्रिपाठी 2003 में सपा से विधायक चुने गए थे, उसके बाद 2013 में कांग्रेस से, 2014 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के साथ आ गए। विधानसभा से इस्तीफा देकर 2016 का उपचुनाव भाजपा से लड़ा और चुनाव भी जीते, एक बार फिर भाजपा ने 2018 में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और नारायण ने तब के कांग्रेस प्रत्याशी और अब के भाजपा नेता श्रीकांत चतुर्वेदी को मात्र 2984 मतों से हराया।