धर्म

बुद्ध पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा पर लग रहा है चंद्रग्रहण,जानें तिथि और महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। इस तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा(Vaishakh Purnima) को हर साल भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है । इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)के नाम से भी जाना जाता है। इस साल वैशाख पूर्णिमा 26 मई को पड़ेगी। इस साल ये पूर्णिमा तिथि खास रहने वाली है। खास इसलिए क्योंकि इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। जिस तरह हिंदू धर्म में अमावस्या का काफी महत्व होता है, ठीक उसी तरह हर महीने आने वाली पूर्णिमा (Purnima) भी महत्व रखती है। पूर्णिमा पर केवल चंद्र देव की ही पूजा नहीं होती बल्कि इस दिन भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और इसका महत्व क्या है।

वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया 
साल 2021 का पहला चंद्रग्रहण 26 मई वैशाख पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। यह उपछाया चंद्रग्रहण होगा। इस ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में पड़ेगा। शास्त्रों के अनुसार, ग्रहणकाल एक अशुभ समयावधि होती है। इसमें लगने वाला सूतक का विचार कई शुभ कार्यों के लिए किया जाता है। उपछाया चंद्रग्रहण दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा जो शाम 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा। यह चंद्र ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका महाद्वीप में पूर्ण रूप में दिखाई देगा। जबकि भारत में ये चंद्र ग्रहण उपछाया रूप में दिखाई देगा। उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारण यहां चंद्रमा का सूतक काल मान्य नहीं होगा। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए जातकों को चंद्र देव की आराधना करनी चाहिए।

वैशाख पूर्णिमा के दिन विशेष योग
इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं। 25 मई को शिव योग रात 10 बजकर 52 मिनट तक है। उसके अगले दिन 26 मई को प्रात: 06 बजकर 01 मिनट से देर रात 01 बजकर 16 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। इस शुभ योग में आप कोई भी कार्य कर सकते हैं।

वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा तिथि
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 25 मई दिन मंगलवार को रात 08 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 26 मई दिन बुधवार को शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। वैशाख पूर्णिमा का व्रत 26 मई को रखा जाएगा और बुद्ध पूर्णिमा भी इसी दिन मनाई जाएगी।

वैशाख पूर्णिमा का महत्व
यूं तो हर पूर्णिमा विशेष मानी जाती है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा और वैशाख माह की पूर्णिमा को सबसे खास माना गया है। इस बार वैशाख महीने की पूर्णिमा 26 मई को है और इस दिन किया गया व्रत और विष्णु और चंद्र पूजन अति शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं इस बार पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी लगने जा रहा है, जिससे इस पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है।

वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि
पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व बताया गया है लेकिन कोरोना काल में घर से निकलकर नदियों तक जाना संभव न हो तो इस बार घर में ही पानी से भरी बाल्टी में कुछ बूंदे गंगाजल की डालकर उस पानी से स्नान करें।
घर के मंदिर को पूरी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
देवताओं का आह्वान करें, सभी देवी देवताओं को प्रणाम करें।
सबसे पहले भगवान विष्णु की तस्वीर, प्रतिमा पर हल्दी से अभिषेक करें उन्हें तुलसी अर्पित करें।
भगवान विष्णु की हर पूजा में तुलसी को अवश्य शामिल करना चाहिए।
भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करें, उनकी आरती करें।
सात्विक चीजों का भोग लगाएं और खुद व्रत का संकल्प लें।
इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व है। इसलिए रात को चंद्र उदय होने के बाद चंद्रमा पर जल अर्पित करें और व्रत का पारण करें।

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