मध्यप्रदेश

सीधी में लाखो बहनें वंचित रह गई लाड़ली बहना योजना से, नाकामियों को ऐसे छिपा रहा प्रशासन

सीधी। इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिले भर में हर तरह की राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां काफी तेजी से सक्रिय हो रही हैं। विधानसभा चुनाव काफी नजदीक होने के कारण जिला प्रशासन की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। शासन की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन कराना लाड़ली बहना योजना का लाभ पात्र महिलाओं तक पहुंचाने के काम में पूरा जिला प्रशासन लगा हुआ है। इसके बाद भी लाड़ली बहना योजना से जिले की लाखों महिलाएं विभागीय लापरवाही के कारण वंचित हो गई हैं।

जिला प्रशासन अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अपात्रों को भी लाड़ली बहना योजना का प्रमाणपत्र वितरण किया जा रहा है। स्थिति ये है कि कलेक्टर के निदेर्शों का पालन विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ लिपिक भी कलेक्टर के निर्देश के बाद भी महीनों तक फाईल दबाए रहते हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी सीएम हेल्पलाईन की स्थिति ज्यों कि त्यों है। सौ दिनों से ज्यादा की हजारों शिकायतें लंबित पड़ी हुई हैं। जिनका निराकरण नहीं हो रहा है। जबकि कहने के लिए तो कलेक्टर प्रति सप्ताह जिले के समस्त विभागीय अधिकारियों को कड़े निर्देश देते हैं।

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जिले में लचर हुर्इं प्रशासनिक व्यवस्थाएं
जिले में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो गई है। कई मामलों में तो सरेआम देखा जा रहा है कि कलेक्टर के निर्देशों का पालन पटवारी तक नहीं कर रहे हैं। अभी हाल ही में कलेक्टर के द्वारा जिले में सीमांकन का विशेष अभियान चलाया गया था। जिसमें तहसील मझौली, सिहावल, रामपुर नैकिन, चुरहट के दो दर्जन से अधिक पटवारी कलेक्टर के निदेर्शों की धज्जियां उड़ाते हुए सीमांकन करने नहीं पहुंचे। ये अलग बात है कि अपनी नाक बचाने के लिए कलेक्टर के द्वारा लापरवाह पटवारियों को बाद में निलंबित कर दिया गया। पटवारियों के निलंबन के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और कलेक्टर का विशेष सीमांकन अभियान महज औपचारिकता बनकर रह गया।

जिला प्रशासन पर हावी है राजनीति
जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। राजनीतिक हस्तक्षेप इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कलेक्टर चाहते हुए भी अधिकारी, कर्मचारियों पर कोई कार्यवाई नहीं कर पाते। जिसके कारण जिले की आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है। जिस कर्मचारी को लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू ने रंगे हांथों पकड़ा हो वही कर्मचारी नियमित रूप से ड्यूटी पर तैनात है। उसका दूसरे स्थान पर स्थानांतरण तक नहीं किया गया। वर्तमान समय पर विभागीय कार्यालय मनमानी तरीके से काम कर रहे हैं।

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