जानिए भगवान विष्णु ने क्यों लिया था मोहिनी अवतार, क्या है मोहिनी एकादशी का महत्व समझें
भोपाल – अधर्म पर धर्म की जीत हो विश्व का कल्याण हो प्राणियों को सद्भावना हो। इसी भावना का साकार करने के लिए समय समय पर भगवान विष्णु ने इस धरती पर अवतार लिया है। इन्हीं अवतारों में से भगवान विष्णु के एक अवतार का नाम है मोहिनी अवतार। पुरातन मान्यताओं के अनुसार – जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला तो इस कलश को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के मध्य युद्ध होने लगा। ऐसे में सभी देवताओं ने अमृत कलश की राक्षसों से रक्षा करने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। देवताओं के इस अनुरोध को मानकर भगवान विष्णु ने सुंदर स्त्री मोहिनी का अवतार लेकर राक्षओं को भटकाया था। उन्होंने मोहिनी अवतार के रूप में केवल देवताओं को ही अमृत का पान कराया था । कहा जाता है कि जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लिया था, तो इस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी।
हर कष्ट से मिल जाता है छुटकारा
ऐसी मान्यता है कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास दो एकादशी पड़ती है पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। मान्यताओं के अनुसार हर एक एकादशी का अपना एक महत्व है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में माना जाता है। इस बार मोहिनी एकादशी काफी खास है क्योंकि यह गुरुवार के दिन पड़ रही है। क्योंकि एकादशी और गुरुवार दोनों ही भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
हिन्दु पंचांग के अनुसार इस वर्ष 12 मई को उदया तिथि होने के कारण मोहिनी एकादशी इसी दिन मनाई जाएगी।
मोहिनी एकादशी तिथि प्रारंभ – 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से
मोहिनी एकादशी तिथि समाप्त – 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक
मोहिनी एकादशी व्रत पारण का समय – 13 मई को प्रातः 7 बजकर 59 मिनट तक