शासकीय भूमि में फर्जीवाड़े का मामला: इन 19 जिम्मेदारों पर EOW ने कसा शिकंजा
देवसर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार उपेन्द्र सिंह चौहान एवं मुनीन्द्र मिश्रा कार्यालय कानूनगो ने कर्री गांव में स्थित 93.14 हेक्टेयर शासकीय भूमि का फर्जी राजस्व अभिलेख तैयार किया। जिसमें तत्कालीन तहसीलदार के भाई राजेन्द्र सिंह एवं कानूनगो के भाई प्रमोद मिश्रा समेत अन्य कृषकों के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दिया गया।
रीवा। सिंगरौली जिला के देवसर तहसील अंतर्गत कर्री गांव की 93.14 हेक्टेयर शासकीय भूमि के फर्जीवाड़े मामले में तत्कालीन तहसीलदार व कानूनगो समेत 19 के खिलाफ ईओडब्ल्यू की रीवा शाखा ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपियों पर कूटरचित दस्तावेज तैयार करने और धोखाधड़ी की धारा लगाई गई है। बता दें कि ईओडब्ल्यू प्रकरण की जांच वर्ष 2015 से कर रहा था।
बताया जा रहा है कि कि देवसर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार उपेन्द्र सिंह चौहान एवं मुनीन्द्र मिश्रा कार्यालय कानूनगो ने कर्री गांव में स्थित 93.14 हेक्टेयर शासकीय भूमि का फर्जी राजस्व अभिलेख तैयार किया। जिसमें तत्कालीन तहसीलदार के भाई राजेन्द्र सिंह एवं कानूनगो के भाई प्रमोद मिश्रा समेत अन्य कृषकों के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर दिया गया। इस मामले का खुलासा होने पर शिकायत ईओडब्ल्यू के रीवा ईकाई से की गई थी। वर्ष 2015 में हुई शिकायत के बाद जांच शुरू कर दी गई थी। अब जाकर जांच पूरी हुई तो ईओडब्ल्यू ने 19 लोगों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 120 बी एवं 7(सी), 13(1)ए, 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत अपराध दर्ज किया गया है।
इनके खिलाफ हुई एफआईआर
ईओडब्ल्यू से मिली जानकारी के अनुसार उक्त मामले में कुल 19 व्यक्तियों के नामजद समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जिसमें मुख्य रूप से तत्कानील तहसीलदार देवसर उपेन्द्र सिंह चौहान, मुनीन्द्र मिश्रा आफस कानूनगो एवं अभिलेखागार प्रभारी तहसील देवसर, सूर्यभान सिंह तत्कालीन पटवारी ग्राम कर्री, प्रमोद कुमार पुत्र श्यामसुंदर, राजेन्द्र सिंह पुत्र यज्ञसेन सिंह, लखनलाल पुत्र विश्वनाथ तेली, नंनदलाल, सावित्री पत्नी राध्ेश्याम, प्रेमिया पुत्री अयोध्या प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद पुत्र राधेश्याम, उमाकांत पुत्र राधेश्याम, कृपाकांत पुत्र राध्ेश्याम, ऋषिकांत पुत्र राधेश्याम, मुलायम सिंह, भगवानदास पुत्र अभयराज पटवा, शैल देवी पत्नी राजेन्द्र प्रसाद, रामनाथ पुत्र गैवीनाथ सिंह गोड़, मोहन सिंह एवं अन्नू देवी पत्नी रामशिरोमणि समेत अन्य शामिल हैं।
इस तरह से किये थे कूटरचना
लोकायुक्त जांच में सामने आया है कि वर्ष 2008 से 2010 के बीच तत्कालीन तहसीलदार समेत अन्य ने देवसर तहसील के ग्राम कर्री के 16 खसरों में काटपीट कर एवं सफेदा लगाकर कूटरचना की थी। इस दौरान मध्य प्रदेश शासन की 93.14 हेक्टेयर भूमि में फर्जी तरीके से तहसीलदार व कानूनगों ने अपने भाई समेत अन्य कृषको का नाम राजस्व अभिलेख में चढ़ा दिया था।
एसडीएम ने अपील किया था निरस्त
नायब तहसीलदार न्यायालय देवसर जिला सिंगरौली द्वारा न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। 27 दिसंबर 2010 को उक्त सभी भूमियों को फिर से मध्य प्रदेश शासन घोषित कर दिया गया। इस संबंध में कृषकों द्वारा एसडीएम न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गई थी, जिसे निरस्त कर दिया गया है।