धर्म

जानें कब है गुरु पर्व? क्‍या है इसके पीछे का इतिहास

सिख धर्म के लिए कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरुनानक जयंती सिखों (Sikh) का सबसे बड़ा त्‍योहार (Sikh Festival) माना जाता है।  गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व (Prakash parv), गुरु पर्व (Guru Parv), गुरु पूरब (Guru Gurpurab) भी कहते हैं। इस साल आगामी 19 नवंबर को गुरु नानक जयंती है। गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी (Guru nanak ji) का जन्म हुआ था. गरु नानक देव जी के जन्‍म दिन के अवसर पर इस दिन भजन कीर्तन करने की परंपरा है। इन दिनों गुरु द्वारे में खास रौनक देखने को मिलती है और घर घर सिख वाहेगुरु का जाप करते हैं।

कब है गुरु पर्व
कहते हैं दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस बार गुरु पर्व 19 नवंबर, 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा। देशभर में ये पर्व काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। कई महीनों पहले से ही सिख समाज जुलूस और प्रभात फेरी की तैयारियों में जुट जाते हैं। गुरु पर्व (guru parav) के दिन सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है, जिसमें गुरु नानक देव जी की भजन, शबद आदि किए जाते हैं। ढोल-मंजीरों के साथ इस प्रभात फेरी की शुरुआत होती है। यही नहीं, कई जगह जुलूस का आयोजन भी किया जाता है। बड़े पैमाने पर सिख समाज की तरफ से लंगर का आयोजन भी होता है. गुरुद्वारों में शबद-कीर्जन और वाक होते हैं। समाज के लोग अपनी श्रद्धा अनुसार गुरुद्वारों में सेवा करते हैं।

गुरु नानक जयंती का महत्व, Guru Purab history Importance Significance
सिखों का विशेष पर्व कार्त‍िक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी कारण इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में पड़ता है। इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर ही पड़ा है।

गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन के साथ भक्तों के लिए लंगर लगता है। इस दिन गुरुद्वारे में रुमाला चढ़ाने का रिवाज होता है। इस दिन भक्त अपनी श्रद्धा से गुरुद्वारे में कोई न कोई सेवा जरूर देते हैं। यहां सेवा का अवसर पाना बहुत पुण्य माना जाता है। साथ ही इस दिन गुरबाणी का पाठ करते हैं।

इसल‍िए मनाते हैं प्रकाश पर्व
सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकजी की जयंती के दिन को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं। गुरुद्वारों में सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो क‍ि देर रात तक चलता है। इस दौरान लोग शबद-कीर्तन करते हैं और रुमाला चढ़ाते हैं। शाम के वक्त लंगर का आयोजन करते हैं। गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रद्धानुसार सेवा करते हैं और गुरु नानकजी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं।

गुरु नानक जयंती का इतिहास
सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई. को हुआ था। गुरु नानक देव का जन्म भोई की तलवंडी जिसे राय भोई दी तलवंडी भी कहते हैं, स्थान पर हुआ था। हालांकि ये जगह अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है। अब इस जगह का नाम नानक देव के नाम से ही रखा गया था। यहां देश विदेश से लोग चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) घूमने आते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। बता दें कि शेर-ए पंजाब के नाम से पहचाने जाने वाले सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने यह गुरुद्वारा ‘ननकाना साहिब’ बनवाया था।

गुरु नानक जी कौन थे?
गुरु नानक जी सिख समुदाय के पहले गुरु थे और इस धर्म के संस्थापक भी। कहा जाता है कि उन्होंने ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। उनको मानने वाले उन्हें नानक देव और बाबा नानक के साथ ही नानकशाह भी कहते हैं। लद्दाख और तिब्बत के क्षेत्र में उन्हें नानक लामा भी कहते है। गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगा दी थी। केवल मात्र भारत ही नहीं इसके बाहर जाकर अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी उन्होंने उपदेश दिए. 16 साल की आयु में ही उन्होंने सुलक्खनी नाम की युवती से शादी की और बाद में दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने. 1539 ई। में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में उनकी मृत्यु हुई। अपनी मृत्यु से पहले ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने शिष्य भाई लहना के नाम की घोषणा की, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. यही गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु बन थे।

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