
प्रयागराज : अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका अतीक अहमद मिट्टी में मिल चुका है। अपराध की दुनिया में उत्तर प्रदेश का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मर्डर और लूटपाट जैसी घटनाएं उत्तर प्रदेश की जमीन पर होना बेहद आम बात है। उत्तर प्रदेश में कई गैंगस्टर्स पैदा हुए। जिनमें से एक था अतीक अहमद, दो अब मिट्टी में मिल चुका है। यूपी को एक ज़माने में दबंगई का प्रदेश कहा जाता था, लेकिन माना जाता है कि जब से योगी सरकार उत्तरप्रदेश में आई है तब से दबंगों और माफियाओं के बुरे दिन शुरू हो गए है। योगी राज में गुंडा गर्दी करने वालों की अब सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है। अतीक अहमद भी उन्हीं माफियाओं में शामिल एक नाम था, जो अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका है।
अतीक अहमद का परिवार
बाहुबली अतीक अहमद बेहद ही गरीब परिवार से था। उसके पिता रेलवे स्टेशन में तांगा चलाया करते थे। अतीक की शादी सन् 1996 में शाइस्ता परवीन से हुई। उसके बाद अतीक की पत्नी ने पांच बेटों को जन्म दिया। जिनके नाम मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम, मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली और मोहम्मद आबान है। इन सभी के ऊपर भी गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। इनमें से 2 बेटे अभी भी जेल में बंद हैं। अमीर बनने के शौक में अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन इसी साल 2023 में BSP (बहुजन समाज पार्टी) में शामिल हुई हैं।
अतीक अहमद का राजनीतिक सफर
वर्ष 1989 में अतीक अहमद ने प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया था और उसे यहां पर निर्दलीय सीट मिली थी। स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अतीक ने जीत भी हासिल की। यहीं से अतीक अहमद के जीवन की एक नई शुरुआत होती है। वो इस सीट पर 5 बार विधायक भी रहा। इस बीच अतीक ने सन् 1999 में सपा पार्टी छोड़कर सोनलाल पटेल की पार्टी ज्वाइन कर ली थी। जहां पर वो प्रतापगढ़ से चुनाव में उतरे था और उसे हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2003 में जब मुलायम सिंह की सरकार बनती है तो अतीक फिर से पार्टी में शामिल होकर अपनी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से चुनाव लड़ता हैं। जिसमें उसे जीत भी हासिल होती है। यहां से अतीक समाजवादी पार्टी का हाथ थामे रखता है। अगले साल 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर आम चुनाव लड़ा और 14वीं लोकसभा सीट के लिए चुना गया। पहली बार अतीक अहमद लोकसभा पहुंचा।
अतीक अहमद विवाद
अतीक अहमद का पूरा राजनितिक जीवन विवादों से घिरा रहा है। साल 2004 में जब अतीक सांसद बना तो उसकी विधानसभा सीट खाली हो गई और उसके बाद इलाहबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुए। जिसमें उसके छोटे भाई अशरद ने बसपा (बहुजन समाजवादी पार्टी) के उम्मीदवार राजू पाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। जिसमें राजू पाल की बड़ी जीत हुई और यहाँ से शुरू होता है राजनितिक प्रतिद्वंद्ध। और यह राजनीतिक लड़ाई… फिर व्यक्तिगत लड़ाई में बदल गई। अतीक ने साल 2005 में राजू पाल को अपने गुर्गों से मरवा दिया। जिसके बाद राजू पाल की पत्नी ने अतीक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें राजू पाल के साले उमेश पाल अहम गवाह बने थे।
अतीक के अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर
इसी रंजिश के चलते अतीक के गुंडों ने 24 फ़रवरी 2023 को उमेश पाल के घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी। जिसके बाद अतीक पर राजू पाल और उमेश पाल की हत्या के आरोप में मुकदमा चल रहा है और साथ ही यूपी सरकार ने उसके अवैध निर्माण में बुलडोज़र चलाना भी शुरू कर दिया है। जिससे कोई भी अन्य अपराधी ऐसे अपराध करने से पहले उसका अंजाम के बारे में सोचे।
अतीक अहमद के आतंक का अंत
15 अप्रैल 2023 की शाम अतीक अहमद और अशरफ अहमद दोनों भाइयों को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। रात लगभग 10:35 बजे अतीक और अशरफ को लेकर पुलिस मोतीलाल नेहरू मंडल हॉस्पिटल पहुंची। गेट पर गाड़ी खड़ी करके पुलिसकर्मी अतीक और अशरफ को लेकर अस्पताल की ओर बढ़े। हॉस्पिटल गेट से 10-15 कदम आगे बढ़ते ही मीडियाकर्मी अतीक और अशरफ की लाइव कवरेज कर रहे थे। इसी दौरान मीडिया कर्मियों की भीड़ में से दो मीडिया कर्मियों ने हथियार निकालकर अतीक और अशरफ को गोली मार दी। इस तरह अतीक अहमद के आतंक का अंत हो गया।