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गडकरी के साहस की चिदंबरम ने की तारीफ, कहा- तेल की बढ़ती कीमतों की बात रखें कैबिनेट में

प्रमुख खबरें : नई दिल्ली। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (Senior Congress leader P Chidambaram) ने केन्द्रीय मंत्री नीतीन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) की जमकर तारीफ की। चिदंबरम ने कहा कि केन्द्र सरकार (central government) में वह इकलौते ऐसे मंत्री जिन्होंने पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) की बढ़ती कीमतों पर आवाज उठाने की हिम्मत की है। उन्होंने आगे कहा कि गडकरी को साहस दिखाते हुए कैबिनेट में अपनी बात रखनी चाहिए। बता दें कि केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले दिनों एक निजी कार्यक्रम में पेट्रोलियम पदार्थों (petroleum substances) की बढ़ती कीमतों के कारण लोगों में आक्रोश होने की बात स्वीकारी थी।

सारे फैसले पीएम ही लेते हैं
नीतीन गडकरी द्वारा की गई इस टिप्पणी के बारे में जब पत्रकारों ने चिदंबरम से पूछा की आपकी इस बारे में क्या राय है, तो उन्होंने कहा कि देश की जनता (country folk) गवाह है कि इस सरकार में कोई भी फैसले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा ही लिए जाते हैं। फिर ये मायने नहीं रखता कि कौन वित्त मंत्री है और कौन नहीं है। प्रधानमंत्री खुद ही वित्त मंत्री हैं, रक्षा मंत्री हैं, विदेश मंत्री, खेल मंत्री हैं। वही सब कुछ हैं।’ उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सिर्फ गडकरी में यह साहस है कि वह समय-समय पर आवाज उठाते हैं, लेकिन इन दिनों वह भी खामोश हैं। उन्हें अपनी आवाज उठानी चाहिए। उन्हें कैबिनेट में अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।





यह कहा था गडकरी ने
खबरों के मुताबिक, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी (Union Minister for Road Transport and Highways Gadkari) ने सोमवार को नागपुर में देश के पहले वाणिज्यिक तरल प्राकृतिक गैस (LNG) फिलिंग स्टेशन का उद्घाटन किया और इस दौरान कहा कि LNG, सीएनजी (CNG) और इथेनॉल (ethanol) जैसे वैकल्पिक ईंधन के अधिक उपयोग से पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी, जिसकी वजह से लोग परेशान हैं और आंदोलन कर रहे हैं।

गडकरी की बेबाकी से कई बार असहज स्थिति में आ चुकी है सरकार
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। कई बार उनके बयान से केंद्र सरकार असहज स्थिति में आ चुकी है। हाल ही में वैक्सीन की कमी को लेकर उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सुझाव दिया था कि देश में ज्यादा कंपनियों को कोरोना वैक्सीन बनाने का लाइसेंस देना चाहिए और उन कंपनियों को इसके बदले रॉयल्टी देनी चाहिए। उनके इस बयान के बाद केंद्र सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था।

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