धर्म

खराब मौसम के कारण रोकी गई केदारनाथ यात्रा, फिर याद आया साल 2013 का मंजर

भोपाल – साल 2013 में केदारनाथ घाटी में लगातार बारिश और हिमखंड टूटने के कारण आई तबाही का जो मंजर था वो दिल दहला देने वाला था। दस हजार से ज्यादा लोगों की मौत इस त्रासदी के कारण हुई थी और कितने लोग लापता हुए थे इस संबंध में आज तक सही जानकारी किसी के पास नहीं है। 13 जून से 17 जून 2013 के बीच हुई भारी बारिश के चलते ऐसा केदारनाथ घाटी में ऐसा सैलाब आया जो अपने साथ केवल केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ बहा ले गया था। इस घटना से सबक लेते हुए इस बार जब कोरोना के चलते 2 साल बाद यात्रा की शुरुआत हुई तो देवभूमि उत्तराखंड लाखों की संख्या में श्रद्धालु एक साथ पहुंच गए। जिसके कारण पवित्र केदारनाथ के रास्ते में जाम लगा गया। केदारनाथ भगवान के दर्शनों के लिए जाने वाले दुर्गम रास्ते में श्रद्धालुओं के पास आगे जाने या फिर वापस आने की जगह तक नहीं बची। ऐसे में केदारनाथ घाटी में बिगड़ते मौसम को देखते हुए यात्रा को सावधानी बरतते हुए रोक दिया गया है। 
 

तबाही

डराने लगी है केदारनाथ की स्थिति
साल 2013 में केदारनाथ घाटी में आए सैलाब से बच्चे, बूढ़े और जवान सब कोई बह गए थे, और रह गए थे तो बस तबाही के निशान। वक्त के साथ तबाही के निशान पर भले ही हल्के हो गए हों लेकिन अभी भी जिनके परिजन इस तबाही की भेंट चढ़ गए थे उनकी आँखों में केदारनाथ का नाम सुनकर आँसू आ जाते है। ठीक वैसी ही परिस्थिति एक बार फिर डराने लगी है, केदारनाथ घाटी का हरदम बदलता मौसम और वहां पर लगा श्रद्धालुओं का जाम। उत्तराखंड सरकार पहले ही केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं से अपील कर चुकी है कि एक साथ यहां पर न आए, क्योंकि घाटी में इतने लोगों को रखने की व्यवस्था नहीं है। उसके बाद भी देश भर से भोलेनाथ के भक्त अपनी चिंता भगवान शिव के भरोसे छोड़कर आ रहे हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन के सामने श्रद्धालुओं की भीड़ और खराब मौसम एक बड़ी परेशानी बनकर सामने आया है, इसलिए  केदारनाथ घाटी का मौसम खराब होने के बाद भगवान के दर्शन कर चुके लोगों को घाटी में ही रोक दिया गया है, इससे साफ है कि प्रशासन हर सावधानी को बरतते हुए नीति बनाकर काम कर रहा है। साल 2013 में भी केदारनाथ से ज्यादा तबाही रामबाड़ा में हुई थी, रामबाड़ा केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के पड़ाव का वह स्थान है जहां बड़ा बाजार है और यात्री रुकते है। ऐसे में श्रद्धालुओं को यहां से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है। 
 

यात्रा

जो जहां है वहीं रुका रहे 
केदारनाथ में साल 2013 में आई तबाही से सबक लेते हुए साल 2022 की केदारनाथ यात्रा को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। जिला प्रशासन के द्वारा यात्रियों से कहा जा रहा है कि जो जहां है वहीं रुका रहे। इस खराब मौसम के चलते करीब 8 हजार यात्री गौरीकुंड और रुद्रप्रयाग में फंसे हुए है। जानकारी मिली है कि केदारनाथ धाम से यात्रियों को वापस नहीं भेजा जा रहा है। जो यात्री बीच रास्ते में फंसे हुए है उन्हें बीच बारिश में सुरक्षा के साथ केदारनाथ धाम तक भेजा जा रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर पुलिस अधिकारी लगातार नीति में परिवर्तन कर सकुशल यात्रियों को वापस लाने की योजना पर काम कर रहे हैं, इस बीच घने कोहरे के कारण हेलीकॉप्टर सेवा को भी स्थगित कर दिया गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस के जवान मिलकर केदारनाथ धाम के बीच रास्ते में फंसे यात्रियों को होटल, लॉज धर्मशाला तक पहुंचा रहे हैं। इसकी वजह साफ है कि साल 2013 में आई तबाही का मंजर आज तक लोगों की आँखों से ओझल नहीं हुआ है। ऐसे में खराब मौसम के कारण कोई बड़ी समस्या न खड़ी हो जाए उसे देखते हुए यात्रा को लेकर रोककर श्रद्धालुओं को वापस लाया जाने का प्रयास मौसम के साफ होने पर शुरू किया जाएगा। प्रशासन की पूरी कोशिश है कि केदारनाथ त्रासदी से सबक लेते हुए चेतावनी वाले स्थानों पर यात्रियों को एकत्रित नहीं होने दिया जाए। वहीं दूसरी ओर केदारनाथ यात्रा रुकने के कारण श्रद्धालुओं के परिजनों की चिंता भी बढ़ती जा रही है।

केदार

 
 
 
 
 
 
 

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