केसीआर वो नेता जिनका दक्षिण भारत की राजनीति में चलता है एकछत्र राज
दक्षिण भारत की राजनीति में एकछत्र राज करने वाले कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव 69 साल के हो गए हैं। 17 फरवरी 1954 को जन्मे के.चद्रशेखर ने साल 1980 में संजय गांधी के मार्गदर्शन में आंध्र प्रदेश युवा कांग्रेस से अपने राजनीति की शुरुआत की थी।

दक्षिण भारत की राजनीति में एकछत्र राज करने वाले कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव 69 साल के हो गए हैं। 17 फरवरी 1954 को जन्मे के.चद्रशेखर ने साल 1980 में संजय गांधी के मार्गदर्शन में आंध्र प्रदेश युवा कांग्रेस से अपने राजनीति की शुरुआत की थी। तेलंगाना की बात करें तो यहां कि सियासत में अब तक के. चंद्रशेखर राव का एकछत्र राज रहा है।के. चंद्रशेखर को केसीआर के नाम से भी जाना जाता है। अब केसीआर तेलंगाना राज्य का सपना पूरा करने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में नई भूमिका तलाश रहे हैं।1980 के दशक में कांग्रेस से सियासी पारी शुरू करने वाले केसीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी हैं और उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है। इस साल तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। अगर केसीआर लगातार तीसरी बार पार्टी का नेतृत्व करते हुए सत्ता में आते हैं, तो दक्षिण भारत में लगातार तीन बार सीएम बनने की हैट्रिक लगाने वाले पहले नेता बन जाएंगे। जो साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले कुछ अन्य राज्यों में बीआरएस के खुद को एक ताकत के रूप में स्थापित करने की संभावनाओं को बल देगा।चलिए अब तेलंगाना के सबसे बडे़ नेता केसीआर की जिंदगी के कुछ और अहम पहलुओं के बारे में भी जान लेते हैं
जन्म से लेकर राजनीति तक का सफर
के. चंद्रशेखर राव का जन्म 17 फरवरी 1954 को आंध्रप्रदेश के मेदक जिले के चिंतामदका गांव में हुआ था। तेलंगाना राज्य आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद वह सत्ता में आए। वह क्षेत्रीय राजनीतिक दल तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता और अध्यक्ष हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश में ही हुई और उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साहित्य में स्नात्कोत्तर की डिग्री ली। 1970 में पढ़ाई के दौरान ही केसीआर राजनीति में दिलचस्पी लेने लेगे। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने रोजगार सलाहकार के तौर पर काम करना शुरू किया।हालांकि इस दौरान उनकी राजनीति में सक्रियता उनकी बढ़ती गई। 1985 में वे तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हुए और विधानसभा चुनाव में उन्हें सफलता मिली। 1987 से 1988 तक वे आंध्र प्रदेश में राज्यमंत्री रहे। 1997-99 के मध्य वे केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे। 1999 से 2001 तक चंद्रशेखर राव आंध्रप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे।
ऐसा है केसीआर का परिवार
सीएम चंद्रशेखर राव के पिता का नाम राघवार राव और माता का नाम वेंकटम्मा है। केसीआर की 9 बहनें और एक बड़े भाई हैं।चंद्रशेखर राव की शादी कल्वाकुंतला शोभा से हुई है। उनके दो बच्चे हैं। केसीआर के बेटे केटी राम राव तेलंगाना सरकार में मंत्री हैं, जबकि उनकी बेटी कविता एमएलसी हैं।
नौकरी से नहीं था प्यार, राजनीति में उतरने को थे बेकरार
केसीआर ने अपना सियासी पारी छात्र राजनीति से शुरू की। उन्होंने सिद्धिपेट डिग्री कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा था। लेकिन इस चुनाव में उनको हार मिली थी। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिग्री कॉलेज में केसीआर की सहपाठी रहे नंदिनी सिद्ध रेड्डी ने बताया कि एक बार कांग्रेस नेता अनंतु मदन मोहन ने उनको नौकरी दिलाने की पेशकश की। लेकिन केसीआर ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वो नौकरी नहीं, राजनीति करना चाहते हैं।डिग्री कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद केसीआर दिल्ली की सियासत करना चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली भी गए। ये साल 1975 का था, देश में आपातकाल लग गया। केसीआर ने संजय विचार मंच में शामिल हो गए। लेकिन संजय गांधी की मौत के बाद केसीआर सिद्धिपेट लौट गए।बताया जाता है कि एक बार सीएम मैरी चेन्ना रेड्डी किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सिद्धिपेट गए थे। उस दौरान कार्यक्रम में मंच से केसीआर भाषण दे रहे थे, लेकिन जब उनका भाषण खत्म होने लगा तो सीएम रेड्डी ने कहा कि ये युवक अच्छा भाषण दे रहा है, उसे मंच से बोलने दो। इसके बाद चेन्ना रेड्डी केसीआर के घर जाने लगे। केसीआर फिल्मों के शौकीन हैं। उन दिनों वो एनटीआर की पौराणिक फिल्में देखना पंसद करते थे।
अलग राज्य की मांग के लिए भूख हड़ताल पर बैठे
2001 में अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए उन्होंने तेलुगू देशम पार्टी से इस्तीफा दे दिया और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन कर 2004 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में उतरे। इस चुनाव में टीआरएस को पांच सीटों पर सफलता मिली। केंद्र की यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2006 तक उन्होंने केंद्रीय श्रम और नियोजन मंत्री के पद पर काम किया। वही अगस्त 2006 में, उन्होंने तेलंगाना के कारण केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और नई दिल्ली में जंतर मंतर में भूख हड़ताल पर बैठे। 2008 में भी उन्होंने ठीक इसी तरह अपने 3 सांसदों और 16 विधायकों के साथ फिर इस्तीफा दिया और दूसरी बार सांसद चुन लिए गए। जून 2009 तक वे यूपीए सरकार में थे, लेकिन अलग तेलंगाना राष्ट्र पर यूपीए के अंदर उन्हें नकारात्मक रवैया दिखा जिसकी वजह से वे यूपीए से बाहर आ गए। जून 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। दिसंबर 2018 को उन्होंने दूसरी बार और तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। और अब अगर वो इस साल फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं तो दक्षिण भारत में लगातार तीन बार सीएम बनने की हैट्रिक लगाने वाले पहले नेता बन जाएंगे।