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‘भगोड़े’ राष्ट्रपति के भाई को भाया तालिबान

काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का खौफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उसके लड़ाके चारों तरफ खूनी खेल खेल रहे हैं। इन सब के बीच अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani, former President of Afghanistan) को बड़ा झटका लगा है। उनके भाई हशमत गनी अहमजई (Hashmat Ghani Ahmedzai) ने पाला बदलते हुए इस्लामिक संगठन तालिबान के पाले में चला गया है। हशमत गनी ने तालिबान को समर्थन करने का एलान किया है। हशमत से यह फैसला अल्हाज खलील-उर रहमान हक्कानी (Alhaj Khalil-ur Rahman Haqqani) के साथ हुई मीटिंग के बाद लिया है।

हशमत गनी के तालिबान में शामिल होने की तस्वीर सोशल मीडिया (social media) पर तेजी से वायरल हो रही है। तालिबान के साथ हशमत गनी के आने से आतंकी संगठन को मजबूती मिलने के आसार हैं। खबरों के मुताबिक ग्रैंड काउंसिल आफ कुचिस के प्रमुख हशमत गनी ने अपने समर्थन की घोषणा तालिबान के नेता खलील-उर रहमान और धार्मिक स्कॉलर मुफ्ती महमूद जाकिर की मौजूदगी में की है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अशरफ गनी का भाई हशमत गनी अफगानिस्तान की राजनीति और कूटनीति का मास्टर माइंड है। जिसका फायदा अब तालिबान को मिलने वाला है। बताया जा रहा है कि हशमत गनी पहले से ही तालिबान को समर्थन देने का फैसला कर चुका था और जैसे ही अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ कि वह आतंकी संगठन (terrorist organization) के साथ जुड़ गया। हालांकि, अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर तालिबान के नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।





बता दें कि अशरफ गनी पहले ही देश छोड़कर भाग गए हैं। वह UAE में हैं। हाल ही में खुद यूएई की तरफ से पुष्टि की गई थी और कहा गया था कि मानवीय आधारों पर उन्हें यहां शरण दी गई है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के गनी के देश छोड़ने को लेकर उनकी काफी आलोचना भी हो रही है। आरोप यह भी लगे हैं कि वह अपने साथ भारी मात्रा में कैश लेकर भागे हैं। हालांकि गनी ने इन आरोपों से इनकार किया है। गनी ने अपने बचाव में कहा था कि वह काबुल के लोगों की जान बचाने और हिंसा को टालने की वजह से देश छोड़कर गए हैं।

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