हाथ में बंधे कलावे को सिर्फ इन दिनों में ही बदलना चाहिए ,नहीं तो होता है अशुभ
हिंदू धर्म में हाथ में बंधने वाले लाल रंग के कलावे या मौली का बांधना काफी शुभ और जरूरी माना जाता है घर में पूजा पाठ हो या फिर कोई शुभ अवसर कलावा बांधना शुभ माना जाता है। कलावा का कई जगह पर रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है। लेकिन अक्सर लोग कलावा तो बंधवा लेते हैं। लेकिन इसे कब बदलना चाहिए या फिर कब तोड़ना चाहिए इसके बारे में शायद ही जानते हों। यह सूती धागे का बना होता है इसलिए कुछ ही समय बाद यह ढीला और बदरंग हो जाता है। ऐसे में कई बार लोग इस बेकार समझ कर हाथों से उतार देते हैं। कई बार तो लोग इसे कभी उतार कर कहीं भी रख देते हैं। कई बार तो यह अपने आप ही खुलने लगता है। ऐसे में कलावे को किसी भी साथान पर किसी भी वक्त खेलना अशुभ माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में कलावे के महत्व को समझाया गया है। इसे उतारने और बदलने के दिन भी निश्चित किए गए है। इतना ही नहीं इसे किस हाथ में बांधा जाना शुभ होता है यह भी शास्त्रों में बताया गया है।
कलावा बांधने से पहले जान लें ये जरूरी बात
बहुत कम लोग ही इस बात को जानते हैं लेकिन हाथ में कलावा बांधने या बदलने से पहले कुछ खास नियम होते हैं। इन नियमों को ध्यान में रख कर ही कलावा बांधा और बदला जाना चाहिए। आपको बता दें कि कलावा को बदलने से पहले दिन नहीं देखना चाहिए। कुछ लोग कलावा इसलिए बदलते हैं कि हाथ पर बंधा कलावा काफी पुराना हो गया है तो उसे बदल कर नया बांध लेते हैं। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों में माना जाता है कि कोई भी धार्मिक कर्म कांड क्यों न हैं उसे शुरू करने से पहले कलावा हाथ में बांधा जाता है। मांगलिक कार्यक्रमों में कलावा बांधना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कलावा हाथ में बाधने से संकटों से बचाव होता है ।
कब बांधा जाता है कलावा
कलावा को मांगलिक कार्यक्रमों, पूजा पाठ या किसी भी धार्मिक कर्म को शुरू करने से पहले बांधा जाता है। वहीं बांधे गए कलावा जब खराब हो जाता है तो इसे बदला जाता है। हालांकि कलावा को बदलने से कई सारे नियम जुड़े हुए हैं और इसे केवल नियमों के तहत ही बदला जाता है।
कब खोलें कलावा
हिंदू धर्म जब भी घर में विशेष पूजा या फिर किसी हवन का आयोज होता है तो उसके संपन्न होने के बाद हाथों में मौली बांधी जाती है। इसका अर्थ होता है कि आप एक अच्छे कार्य साक्षी बने और प्रसाद के रूप में ईश्वर ने आपको सुरक्षकवच दिया है। मगर, लोग इसे कभी भी उतार कर कहीं भी रख देते हैं। आपको बता दें कि अगर आपको कलावे को उतारना है तो आपको मंगलवार और शनिवार को ही यह काम करना चाहिए। इसी दिन आप कलावा बदल भी सकती हैं। कलावे को हमेशा सात राउंड या 5 राउंड घुमाकर पहनना चाहिए। इसलिए अगर आपने हाथों में कलावा बांधा है तो आप 3,5,7 और विषम संख्या वाले दिन ही उतार भी सकती हैं। बस ध्यान रखें कि उस दिन मंगलवार या शनिवार हो। इसके अलावा किसी भी दिन न तो कलावा उतारें न बदलें।
किस हाथ में बांधें कलावा
अगर महिला हैं तो आपको हमेशा सीधे यानी दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए और अगर आप शादीशुदा है तो आपको बाएं यानी उल्टे हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए। पुरुषों के साथ उल्टा होता है। इतना ही नहीं जब आप कलाई पर कलावा बंधवाएं तो आपके हाथों की मुट्ठी बंद होनी चाहिए।
कितने तरह की होती हैं मौली
कलावा 2 प्रकार का होता है, एक तीन धागों वाला होता है दूसरा 5 धागों वाला। तीन धागे वाले कलावे में लाल, पीला और हरा रंग होता है। वहीं यह तीन शक्तियों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक के तौर पर हाथों में बांधा जाता है। वहीं जो कलावा पांच धागों वाला होता है वह लाल, पला, हरा सफेद और नीले रंग का होता है। यह पंचदेवों का प्रतीक होता है।