धर्म

अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में स्नान से मिलता है संतान का आशीर्वाद

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का पर्व आता है। संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मंशा से किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत 28 अक्टूबर के दिन किया जाएगा। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा कुंड है जिसमें यदि पति और पत्नि दोनों अहोई अष्टमी के दिन स्नान कर लें तो उन्हें शीघ्र ही संतान प्राप्ति होती है. इसे राधा कुंड कहते हैं. आइए जानते हैं क्या है राधा कुंड की पौराणिक मान्यता।

कहां है राधा कुंड? (Where is Radha Kund in India)
श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने वाले रास्ते में राधा कुंड स्थित है, जहां अहोई अष्टमी के दिन विशेष स्नान किया जाता है।

राधा कुंड का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस संदर्भ में राधा कुंड का अपना ही महत्व है। मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड स्थित है जो कि परिक्रमा का प्रमुख पड़ाव है। इस कुंड के बारे में एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि निसंतान दंपत्ति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को राधा कुंड में एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसी कारण से इस कुंड में अहोई अष्टमी पर स्नान करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

राधा कुंड में स्नान की पौराणिक मान्यता
अहोई अष्टमी का यह पर्व यहां पर प्राचीन काल से मनाया जाता है। इस दिन पति और पत्नि दोनों ही निर्जला व्रत रखते हैं और मध्य रात्रि में राधा कुंड में डूबकी लगाते हैं। कहते हैं ऐसा करने पर उस दंपत्ति के घर में बच्चे का आगमन होता है। इतना ही नहीं जिन दंपत्तियों की संतान की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, वह भी अहोई अष्टमी के दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है।

अष्टमी की मध्य रात्रि में दंपति कुंड में लगाते हैं डुबकी
हर साल अहोई अष्टमी के मौके पर राधा कुंड में बड़े मेले का आयोजन होता है। साथ ही अहोई अष्टमी से पहले की रात में शाही स्नान किया जाता है. मान्यता है कि इस रात्रि में यदि पति और पत्नी संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस राधा कुंड में डुबकी लगाएं और अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत रखें, तो उनके घर में जल्द ही किलकारियां गूंजती हैं। इसके अलावा जिन दंपति को यहां स्नान के बाद संतान प्राप्ति हो जाती है, वे भी इस दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। माना जाता है कि राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान की ये परंपरा द्वापरयुग से चली आ रही है।

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