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लापरवाही का नतीजाः आइटी हब पुणे में लोगों ने मास्क पहनना छोड़ा, दस गुना बढ़े संक्रमित मरीज

पुणे। कोरोना की दूसरी लहर में तो समूचे महाराष्ट्र में मानो महामारी का कहर टूट पड़ा है। देश के इस राज्य में मिल रहे मरीजों की संख्या चैंकाने वाली है। महाराष्ट्र में भी मुंबई व पुणे के हाल बेहाल हैं। आईटी हब पुणे में दूसरी लहर की मुख्य वजह लोगों का मास्क पहनना छोड़ना है। शहर में पिछली बार के मुकाबले दस गुना तेजी से मरीज बढ़े हैं।

मुंबई-पुणे व नागपुर महाराष्ट्र के ऐसे शहर हैं, जो कोरोना महामारी से सर्वाधिक परेशान हैं। अस्पतालों से लेकर उनके बरामदों व होटलों तक में मरीजों को भर्ती कराकर इलाज कराना पड़ रहा है। पुणे के 110 अस्पतालों में महामारी का इलाज हो रहा है, लेकिन सब दूर बेड भर गए हैं।

पुणे सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा व उद्योग का बड़ा केंद्र है। मुंबई की तरह ही आबादी भी अधिक होने से महामारी का खतरा भी ज्यादा था ही, लेकिन लापरवाही ने करेला और नीम चढ़ा जैसा काम कर दिया। शहर कोरोना हब बन गया है।





मास्क क्या उतारे, उतर गया नूर
पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशीष भारती का कहना है कि लोगों को दूसरी लहर इतनी खतरनाक होगी, यह अंदाजा ही नहीं था। जैसे ही अनलॉक शुरू हुआ लोगों ने मास्क उतार दिए। यही वजह है कि अब कोरोना लोगों के चेहरे का नूर उतार रहा है।

शादियों में मेहमान बन आया कोरोना
शादियों व अन्य सामाजिक आयोजनों में तो लोग भूल ही गए थे कि महामारी के विषाणु अभी जिंदा हैं और हमारे आसपास मौजूद हैं। सैकड़ों की तादाद में शादियां हुईं और उसमें मेहमान बनकर कोरोना ने भी खूब शिरकत की। उसका खामियाजा पूरा शहर भोग रहा है।

पुणे प्रशासन यहां चूक गया
जनता को भले दूसरी लहर आने का अंदाजा नहीं था, लेकिन वैज्ञानिकों व सरकार को तो था। इसके बावजूद उसे हल्के तौर पर लिया गया। अनलॉक में सरकार व प्रशासन भी चैन की नींद सो गया। फिर क्या था, मौसम के करवट लेते ही संक्रमण बढ़ा और अब दस गुना तेजी से मरीज निकल रहे हैं। महापौर मुरलीधर मोहोल मान रहे हैं कि अनलॉक में लोगों के साथ ही शासन-प्रशासन से भी चूक हुई।

यह भी पढ़ेंः मप्र में कोरोना का कहर: मंत्रालय और राज्य स्तरीय कार्यालयों में 25% रोटेशन से होगी कर्मचारियों की उपस्थिति

रोज छह हजार नए मामले, औसत 60-70 मौतें
पुणे में रोज 60 से 70 लोग जान गंवा रहे हैं और 5500-6000 के बीच नए मामले आ रहे हैं। शहर में अब तक 325 कंटेनमेंट जोन हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ानी पड़ रही है। समूचे महाराष्ट्र में रोजाना 50 हजार से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। दूसरी लहर में हालत बिगड़ने के बाद प्रशासन ने नए सिरे से पाबंदियां लगाई हैं।

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