इंदौर

इंदौर हाईकोर्ट कोरोनाकाल में अनाथ हुए बच्चों की उठाएगी जिम्मेदारी

देशभर में पिछले एक साल में कोरोना महामारी (corona pandemic) ने न जाने कितनों के सर से आफ्नो का साया छीन लिया न जाने कितनों के घर के चिराग बुझ गए और कितने ही बच्चे अनाथ हो गए । वैसे तो प्रदेश सरकार ने भी कोविड-19 बाल सेवा योजना’ शुरू की है लेकिन ऐसे ही संकट से गुजर रहे इन अनाथ बच्चों की मदद के लिए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने मदद के हाथ आगे बढ़ाए हैं। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ अब ऐसे बच्चों का सहारा बनेगी, जो कोरोना में अपने पिता या मां (सिंगल पेरेंट्स) को खो चुके हैं।इंदौर हाईकोर्ट ने इंदौर और उज्जैन संभाग से 1783 बच्चों का चयन किया है, जिनकी पढ़ाई और परवरिश की जिम्मेदारी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच उठाएगी। इंदौर खंडपीठ में आने वाले 16 जिलों को चिह्नित किया है , इनमें शहर के 300 बच्चे शामिल है ।

इंदौर हाईकोर्ट पब्लिश वेलफेयर फंड का करेगा इस्तेमाल
कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की परवरिश के लिए इंदौर हाईकोर्ट पब्लिक वेलफेयर फंड का इस्तेमाल करेगा। हाईकोर्ट द्वारा चुने गए बच्चों में से 300 बच्चे इंदौर शहर के हैं। हाईकोर्ट ने बच्चों की मदद के लिए महिला बाल विकास विभाग को भी योजना में शामिल किया है। प्रारंभिक तौर पर 2000 रुपए तक सहायता देंगे। यदि किसी बच्चे को स्कूल फीस या अन्य कोई बड़ी आर्थिक सहायता की जरूरत है तो उन्हें महिला बाल विकास विभाग के जरिए अलग से आवेदन देना होगा। इसके बाद हाई कोर्ट किसी संस्था, संगठन या सरकार के जरिए उन्हें मदद दिलाएगा।

457 बच्चों को आर्थिक सहायता दिलाई जा चुकी
महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन जिलों में ऐसे बच्चों की सूची तैयार की है। इन सभी को विभाग की ही फास्टर केयर योजना का लाभ देना संभव नहीं हो पा रहा था। रेडक्रॉस सोसायटी की तरह हाईकोर्ट के पास एक पब्लिक वेलफेयर फंड होता है जिसका उपयोग बुजुर्ग और बच्चों के लिए किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी जारी किए हैं निर्देश
बता दें कि बीते जून माह में ही सुप्रीम कोर्ट ने भी कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि अनाथ बच्चों की शिक्षा जारी रहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को गैर कानूनी तरीके से गोद लेने वाले गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

प्रदेश सरकार भी उठा चुकी है जिम्मा
कोरोना के अनाथ हुए बच्चों का जिम्मा राज्य की शिवराज सरकार भी उठा रही है। सरकार ने ऐलान किया था कि कोरोना से अनाथ हुए या अन्य अनाथ बच्चों की शिक्षा, आश्रय और आहार की व्यवस्था प्रदेश सरकार करेगी।

 

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