भारत को मिल गई सर्वाइकल कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन, जानें क्या है सर्वाइकल कैंसर इसके लक्षण, चरण और रोकथाम के उपाय
सर्वाइकल कैंसर के मामले में भारत को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अब देश को देश में ही निर्मित सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन मिल गई है।
सर्वाइकल कैंसर के मामले में भारत को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अब देश को देश में ही निर्मित सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन मिल गई है। मतलब भारत को पहली स्वदेशी वैक्सीन मिल गई है। 6 से 7 साल तक चली लंबी जद्दोजहद के बाद सीरम इंस्टीट्यूट को ये सफलता हाथ लगी है।सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित पहली स्वदेशी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) वैक्सीन का नाम ‘सर्ववैक’ है, जो केंद्रीय ड्रग्स लेबोरेटरी (CDL) कसौली के मानकों पर खरी उतरी है।प्रयोगशाला में सफल परीक्षण के बाद CDL ने सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन को ग्रीन सिग्नल दे दिया है। अब ये वैक्सीन 9 से 14 साल की बच्चियों को लगाई जाएगी।वैक्सीन को ड्रग्स कंट्रोलर जरनल ऑफ इंडिया (DCGAI) से मंजूरी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश के कसौली में स्थित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला में कंपनी ने बीते सप्ताह 3 बैच परीक्षण के लिए भेजे थे। इन 3 बैच में लगभग 70 हजार डोज थी, जिनकी क्वालिटी और कंट्रोल का टेस्ट किया गया। इस वैक्सीन को बनने में करीब 6 से 7 साल लगे हैं। सीरम इंस्टीट्यूट को भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) से वर्ष 2022 में सर्वाइकल कैंसर का टीका विकसित करने के लिए बाजार प्राधिकरण प्राप्त हुआ था। दूसरी ओर, कसौली स्थित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्रमाणित इकलौती प्रयोगशाला है। किसी भी दवा को भारतीय बाजार में उतारने से पहले CDL कसौली के लैब में होने वाले टेस्ट में उसका पास होना आवश्यक है।लेकिन अब सर्वाइकल कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन को सीएलडी ने पास कर दिया है।
क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो गर्भाशय के निचले सिरे से शुरू होता है, जो ऊपरी योनि से संपर्क करता है,जिसे गर्भाशय ग्रीवा कहा जाता है। मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ स्क्रीनिंग और टीकों तक पहुंच की कमी के कारण अधिकांश विकासशील देशों में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर मौत का एक आम कारण है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) सबसे कॉमन यौन संक्रमण है। इसके वायरस को ही सर्वाइकल कैंसर का जड़ माना जाता है। रिसर्च के मुताबिक दुनिया में सर्वाइकल कैंसर के 99.7 फीसदी मामले में यह वायरस पाया गया है। एचपीवी करीब 100 तरह के होते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इनमें से 16 से 18 वायरस ऐसे होते हैं, जो 70 फीसदी सर्वाइकल कैंसर के मामलों में पाए जाते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के कारण, लक्षण, चरण और रोकथाम
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में मौत का एक आम कारण है। हर महिला के लिए इन बीमारियों के बारे में कुछ न कुछ जानना जरूरी है। इस लेख में सर्वाइकल कैंसर के बारे में वह सब कुछ है, जो आपको जानना चाहिए।
सर्वाइकल कैंसर के कारण
सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम कारण पैपिलोमावायरस (एचपीवी) में से एक के साथ लंबे समय से संक्रमण है। एचपीवी संक्रमण आम है, और सभी एचपीवी संक्रमण से कैंसर नहीं होता है। एचपीवी कई प्रकार के होते हैं, 100 से अधिक प्रकार और केवल कुछ ही प्रकार के कैंसर से जुड़े होते हैं। अन्य एचपीवी प्रकार आमतौर पर जननांगों या त्वचा पर सौम्य मस्से का कारण बनते हैं। उच्च जोखिम वाले एचपीवी पुरुषों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के साथ-साथ लिंग के कैंसर का कारण साबित हुए हैं।
सर्वाइकल कैंसर के संकेत और लक्षण
सर्वाइकल कैंसर कोई संकेत या लक्षण उत्पन्न नहीं कर सकता है, ज्यादातर इसकी प्रारंभिक अवस्था में। लक्षण तब विकसित हो सकते हैं जब कैंसर कोशिकाएं आसपास के ऊतकों पर हमला करना शुरू कर दें। कुछ संकेतों और लक्षणों में असामान्य योनि से रक्तस्राव , सामान्य से अधिक या अधिक मासिक धर्म , सेक्स के बाद योनि से रक्तस्राव, संभोग के दौरान दर्द अन्य असामान्य योनि स्राव आदि शामिल हैं।
सर्वाइकल कैंसर के चरण क्या हैं?
किसी भी कैंसर की स्टेज यह होती है कि जब इसका पता चला तो यह शरीर में किस हद तक फैल गया था। सर्वोत्तम उपचार योजना निर्धारित करने में स्टेजिंग कैंसर महत्वपूर्ण हैं।
सामान्य तौर पर, सर्वाइकल कैंसर के चरण इस प्रकार हैं
स्टेज 0 : इस स्तर पर, कैंसर वास्तव में आक्रामक नहीं होता है। असामान्य कोशिकाएं केवल गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर होती हैं, जैसा कि CIN 3 में होता है। इस चरण को कार्सिनोमा इन सीटू (CIS) कहा जाता है।
स्टेज I : ट्यूमर की एक छोटी मात्रा होती है जो पाई जा सकती है लेकिन किसी भी लिम्फ नोड्स या दूर के स्थानों में नहीं फैलती है।
स्टेज II : कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे निकल गया है, लेकिन श्रोणि की दीवारों या योनि के निचले हिस्से पर आक्रमण नहीं किया है।
स्टेज III : कैंसर श्रोणि की दीवारों या योनि के निचले हिस्से में फैल गया है। एक ट्यूमर मूत्रमार्ग को अवरुद्ध कर सकता है। हालांकि, यह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला है।
चरण IV : यह चरण सबसे उन्नत चरण है, जिसमें कैंसर शरीर के अन्य क्षेत्रों जैसे मूत्राशय, मलाशय में फैल गया है।
सर्वाइकल कैंसर के लिए रोकथाम
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को टीकाकरण और आधुनिक स्क्रीनिंग तकनीकों के उपयोग से रोका जा सकता है जो गर्भाशय ग्रीवा में पूर्व कैंसर परिवर्तनों का पता लगाते हैं। गार्डासिल और गार्डासिल 9 जैसे टीके एचपीवी के खिलाफ उपलब्ध हैं,लेकिन ये बहुत महंगे है। इनकी कीमत 2000 रुपये प्रति डोज से शुरू हो जाती है। महिलाओं की उम्र के हिसाब से उनको इसकी डोज दी जाती है। आमतौर पर एक महिला को दो-तीन डोज दी जाती है। गार्डासिल वैक्सीन की एक डोज की कीमत 2800 रुपये है, वहीं सर्वारिक्स की एक डोज की कीमत 3299 रुपये है।लेकिन अब भारत ने ही कुद की वैक्सीन विकसित कर ली है। जिसकी कीमत 200-400 रुपये रहने की उम्मीद है।सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में आम है, यह अमेरिका में हर साल 13 हजार महिलाओं में होता है, जिससे लगभग 4,100 मौतें होती हैं। अगर इस कैंसर का जल्द पता चल जाए, तो इसका इलाज संभव है। इसकी घटनाओं को रोकने के लिए महिलाओं को कैंसर की जांच के लिए जाना चाहिए।