जन्माष्टमी के दिन पूजा में शामिल करें ये चीजें ,बाल गोपाल होंगे प्रसन्न तो मिलेगा आर्शीवाद
हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण (Lord Krishna) का जन्म उत्सव, जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव हर वर्ष भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने का विधान है । इस बार ये पर्व 30 अगस्त को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा में इन चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए. इसमें से एक है सफेद मक्खन। कहते हैं श्री कृष्ण को सफेद मक्खन बहुत प्रिय था। इसलिए इस पावन दिन श्री कृष्ण को मक्खन का भोग जरूर लगाएं। बाल गोपाल को मक्खन का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद स्वरुप खुद खाएं व दूसरों में भी बांटे। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूजा में किन चीजों को शामिल करना चाहिए…..
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और समय
श्री कृष्ण जन्माष्टमी- 30 अगस्त (सोमवार)
निशीथ पूजा मुहूर्त- रात 23:59:27 बजे से रात 24:44:18 बजे तक
अवधि- 44 मिनट
जन्माष्टमी पारण मुहूर्त- 31 अगस्त को सुबह 05:57:47 बजे के बाद
माखन
भगवान श्री कृष्ण को माखन अतिप्रिय होता है। इस पावन दिन भगवान श्री कृष्ण को माखन का भोग जरूर लगाएं। भगवान श्री कृष्ण को माखन का भोग लगाने के बाद माखन को प्रसाद स्वरूप खा लें।
मोरपंख
भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट में मोरपंख भी धारण करते हैं। भगवान श्री कृष्ण की पूजा में मोरपंख भी रखें। भगवान श्री कृष्ण को मोरपंख लगा हुआ मुकुट ही पहनाएं। घर में मोरपंख रखना शुभ होता है।
तुलसी
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी को जरूर शामिल करें। भगवान श्री कृष्ण को तुलसी अतिप्रिय होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ ही तुलसी की पूजा भी करें।
बांसुरी
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय थी। कान्हा की मधुर बांसुरी सुनकर गोकुल की सखियां वन में दौड़ी चली आती थीं। कान्हा ये बांसुरी हमेशा अपने साथ रखते थे। इसलिए पूजन के समय थाली में कान्हा जी की बांसुरी भी जरूर रखें।
पंचामृत
भगवान श्री कृष्ण को पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। पंचामृत मेवा, दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद से बनाया जाता है। भगवान को पंचामृत का भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप पंचामृत का सेवन करें।
जन्माष्टमी पूजन विधि
जन्माष्ठमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा देवताओं के नाम जपें। रात्रि में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं. पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें और लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं। इसके बाद आरती करके प्रसाद को भक्तजनों में वितरित करें।