धर्म

इस तरह से रविवार को करें सूर्य मंत्रों का जाप, दूर होंगे सभी कष्ट

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों में सूर्य देव को राजा माना गया है। शास्त्र में सूर्य को मान-सम्मान के साथ आरोग्य प्रदान करने वाला भी माना गया है। रविवार (Sunday) के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव (God Sun) प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं। जिनकी साधना-आराधना करने से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं. सूर्य देव का नाम सविता भी है। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम उनके मंत्रों का जाप और सूर्योदय के समय अर्घ्य देना माना गया है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, जिनका दर्शन पृथ्वी पर कहीं भी रहते हुए किया जा सकता है। सूर्य देव अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने वाले हैं। आइए जानते हैं कि किन उपायों को करने से मिलने लगती है सूर्य की कृपा-

कैसे रखें रविवार का व्रत
रविवार का व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष से प्रारंभ करना चाहिए। इसे कम से कम 12 व्रत अवश्य रखना चाहिए। हालांकि यदि संभव हो तो पूरे साल रखना चाहिए। सूर्य को जल देने के बाद भगवान सूर्य के बीज मंत्र की कम से कम पांच माला का जाप जरूर करें। इसके बाद रविवार व्रत की कथा पढ़ें। व्रत के दिन सुबह स्नान-ध्यान करके लाल रंग के कपड़े पहने और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। इस दिन केवल गेहूं की रोटी या गेहूं का दलिया और गुड़ का सेवन करें। ऐसा करते हुए जब आपके व्रत का संकल्प पूरा हो जाए तो कम से कम दो ब्राह्मणों को आदर के साथ भोजन कराएं एवं अपने सामर्थ्य के अनुसार सूर्य से संबंधी दान और दक्षिणा दें।

रविवार व्रत का फल
रविवार का व्रत रखने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत को करने से आंख से संबंधी दोष दूर होते हैं और आयु बढ़ती है.

सूर्य का दान
सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रविवार के दिन गेहूं, गुड़, तांबा, सोना, लाल चंदन आदि का दान करना चाहिए.

चमत्कारी है भगवान सूर्य का ये मंत्र, दूर होंगे सभी कष्ट।

‘उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।

यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।

सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।

यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।’

आगे जानिए मंत्र जाप की विधि-

सूर्य मंत्र का चमत्कारी लाभ प्राप्त करने के लिए इस तरह से जाप करें।
सूर्य की उपासना हमेशा प्रातः जल्दी उठना चाहिए।
जिस दिन मंत्र जाप करना हो उस दिन सूर्योदय से पहले नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
उगते हुए सूर्य के समक्ष खुले आकाश के नीचे आसन बिछाकर बैठे।
सूर्य की ओर मुख करके अपनी आंखें बंद करके सूर्य का ध्यान करें और एक गहरी-लंबी स्वास लें।
अब इस तरह से भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करें कि जैसे आपके रोम-रोम में उनका दिव्य प्रकाश प्रवेश कर रहा है।
इसी ध्यान अवस्था में लगभग 10 से 15 मिनट तक भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करें।
जब ध्यान की प्रक्रिया पूरी हो जाए तो तुलसी की माला से 251 बार इस मंत्र का बिना बोले अपने मन ही मन जाप करें।
जब मंत्र जाप पूर्ण हो जाए तो उसके बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करके तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा दूध और शक्कर डालकर अर्घ्य दें।

 

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