नए साल में शिवराज स्थाई कर्मियों को दे सकते हैं बड़ी खुशखबरी, बड़ी वजह है चुनाव भी
राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की अनुशंसा के बाद से सरकार ने स्थाई कर्मचारियों को चुनाव से पहले ही नए साल में सातवां वेतनमान अनुकंपा नियुक्ति का तोहफा देने पर विचार विमर्श कर रही है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इस चुनाव में अब करीब 10 महीने का ही समय बचा है। ऐसे में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार हर वर्ग को साधने में लगी हुई है। यही नहीं, सरकार आज जनता के साथ सरकारी कर्मचारियों को भी साधने में लगी हुई है। इसी कड़ी में राज्य सरकार विधानसभा चुनाव से पहले स्थाई कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है। दरअसल राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने इन कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने और अनुकंपा नियुक्ति की अनुशंसा की है।
राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की अनुशंसा के बाद से सरकार ने स्थाई कर्मचारियों को चुनाव से पहले ही नए साल में सातवां वेतनमान अनुकंपा नियुक्ति का तोहफा देने पर विचार विमर्श कर रही है। इतना ही नहीं, सरकार ने स्थाई कर्मियों की बारे में विभाग प्रमुख से भी विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। बता दे प्रदेश में स्थाई कर्मचारी लंबे समय से खाली पदों पर नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की अनुशंसा पर विचार कर सकती है। उम्मीद की जा रही है कि नए साल में इन कर्मचारियों को लाभ मिलने लगेगा।
इनको भी जगी आस
बता दें कि मध्यप्रदेश में करीब 20-25 साल में स्थायी कर्मचारी विभिन्न विभागों में सेवाए दे रहे हैं। लेकिन इन कर्मचारियों को को छठा वेतनमान भी नहीं मिला है। वर्तमान में अकुशल अस्थाई कर्मियों को 4000 अर्ध कुशल को साढ़े 4 हजार और कुशल को 5000 वेतनमान दिया जा रहा है। अब उम्मीद की जारी रही है कि सरकार इन कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के साथ सातवें वेतन मान का भी लाभ दे सकती है।
2006 में उच्चतम न्यायालय ने भी दिया था निर्देश
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार मामले में 10 अप्रैल 2006 को उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला सुनाया था कि 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। कर्मचारी राम नरेश रावत द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के विरुद्ध लगाए गए एक अन्य मामले में न्यायालय ने रिक्त पदों पर नियुक्ति के आदेश दिए हैं, फिर भी इन कर्मियों पर निर्णय नहीं ले रही है सरकार।