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रीवा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था धड़ाम: साधारण बुखार का भी समय पर नहीं हो पा रहा इलाज

रीवा। रीवा जिले की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था धड़ाम हो गई है। चिकित्सकों की कमी के कारण साधारण बुखार तक का इलाज नहीं हो पा रहा है। कहने को तो जिले में स्वास्थ्य विभाग की 45 अस्पतालें संचालित हैं, जहां 571 चिकित्सकों के पद हैं। लेकिन इनमें से 452 पद खाली हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ भी भारी कमी है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर उपचार की सुविधा एक दिवा स्वप्न की तरह है।

जिले वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए 9 सीएचसी, 35 पीएसची और एक जिला अस्पताल संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अंचलों के मरीजों को समीपस्थ स्थान में उपचार दिया जा सके हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। बताया जा रहा है कि जिले के इन सभी 45 अस्पतालों में 571 चिकित्सकों के पद स्वीकृत किए गए हैं। लेकिन जिले में महज 119 चिकित्सक ही तैनात हैं। जबकि 452 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा नर्स, ड्रेसर समेत अन्य पैरामेडिकल स्टाफ भी पर्याप्त संख्या में नहीं है। जिसके चलते भी परेशानी हो रही है। ऐसे में मरीजों को साधारण उपचार के लिए भी जिला मुख्यालय तक आना पड़ रहा है।

धूल फांक रहे मेडिकल उपकरण
जिला अस्पताल समेत सीएचसी- पीएचसी, फीवर क्लीनिकों पर शासन ने लाखों रुपए खर्च कर मेडिकल स्टूमेंट खरीदे गए हैं। इसमें मुख्य रूप से आटोग्लेब, स्टोमैथोलाइजर, इंट्रोवेटर, पल्स आक्सीमीटर, रेडियंट वारमर सहित कई अन्य प्रकार की मशीनें व उपकरण शामिल हैं। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण इन उपकरणों का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि अस्पतालों के स्टोर रूप में पड़े ये उपकरण धूल फांक रहे हैं।

लोग होते हैं परेशान
गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर चिकित्सकों के न मिल पाने की वजह से मरीजों एवं उनके परिजनों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। हालात यह बनते हैं कि वह रीवा की ओर आने के लिए मजबूर होते हैं लेकिन यहां भी उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो पाता है। जबकि कहने को तमाम तरह की व्यवस्थाएं चल रही हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की नहीं कमी
जिला अस्पताल में मेडिसिन, अर्थो, गायनी, डेंटल, रेडियोलॉजिस्टिसहित अन्य विभागों में सामान्य चिकित्सकों के साथ ही विशेषज्ञों की कमी है। कहने को अस्पताल में विशेषज्ञ समेत 34 चिकित्सक पदस्थ हैं। ज्यादातर चिकित्सक अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था के साथ बीआइपी ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं। अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे है।

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