सीता माँ की खोज में श्री हनुमान जी ने किया था संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत
आज भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि है। आज कजरी तीज मनाई जाएगी साथ ही गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी व्रत भी किया जाएगा। भगवान गणेशजी की प्रसन्नता व पूजा के लिए ये व्रत किया जाता है। समस्त देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य गणेश जी की लीलाएं अत्यंत प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ही माता-पिता को सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्रदान की। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से गणेशजी के आशीर्वाद से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। कोई आसन्न संकट दूर हो जाता है। कहा गया है की गणेश चतुर्थी का व्रत हनुमान जी ने सीता माँ की खोज में जाने पर यह व्रत किया। रावण को जब राजा बलि ने पकड़ कर कैद कर लिया, तब रावण ने यह व्रत किया था। गौतम की पत्नी अहिल्या ने भी इस व्रत को किया था।
गणेश चतुर्थी व्रत संकटों से बचाता है-
यह व्रत कम से कम एक या तीन वर्ष करें। जिनका विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें तो यह व्रत अवश्य करना चाहिए। शनि की साढे साती से पीड़ित राशियों-धनु, मकर, कुंभ और शनि की ढैया वाली राशियों -मिथुन और तुला वाले लोगों को भी यह व्रत संकटों से बचाता है।
हनुमानजी भी गणेशजी की पूजा करते थे। सीताजी को खोजने के लिए निकलने से पहले उन्होंने गणेश चतुर्थी व्रत रखकर गणेशजी की पूजा की। इससे गणेशजी प्रसन्न हुए और उनकी कृपा से हनुमानजी ने अपने बल के साथ बुद्धि का प्रयोग करते हुए सभी संकटों से पार पाते हुए माता सीता को खोजने में सफलता प्राप्त की।