बीमारियों से मुक्ति चाहते हैं, तो शीतला अष्टमी पर करें ये उपाय

इस साल आषाढ़ मास की शीतला अष्टमी 2 जुलाई को है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री शीतलाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार शीतलाष्टमी 2 जुलाई, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन माता शीतला के निमित्त व्रत कर उपासना करने का विधान है | इस दिन स्नान आदि के बाद विधि-पूर्वक देवी शीतला की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।हर महीने 2 बार अष्टमी आती है, लेकिन आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी कहा जाता है। जानकार हैरानी होगी कि देश के अलग-अलग इलाकों में शीतलाष्टमी अलग-अलग समय पर मनाई जाती है। हालांकि आषाढ़ मास की शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है. चलिए इस बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं।
शीतलाष्टमी मुहूर्त
आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि 02 जुलाई दिन शुक्रवार को है।
पूजा की विधि
प्रातःकाल सभी नित्यकर्म के बाद स्नान करके पूजा का संकल्प लेते हैं। पूजा की थाली में दही, पूआ, पूड़ी, बाजरा, मीठे चावल और गुड़ का भोग लाया जाता है। मां की पूजा में हल्दी, अक्षत्, लोटे में जल और कलावा रखते है। इसके बाद भोग लगाना चाहिए। मां शीतला की पूजा करने के लिए एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित किया जाता है।
शीतलाष्टमी का महत्व
मां की पूजा करने से व्यक्ति के रोगों का समूल नाश हो जाता है। मां की पूजा बच्चों की दीर्घायु और आरोग्य के लिए की जाती है। मां शीतल की उपासना से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। इनके कृपा से चेचक रोग से छुटकारा मिलता है।
क्या है शीतला अष्टमी की मान्यता
माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन आप अगर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करेंगे तो आपको बीमारियों से मुक्ति मिल जाएगी और आपके घर में सुख शांति आ जाएगी। आप पूजा करने के बाद माता शीतला का जाप करें। ऐसा करने से आपको बीमारियों से मुक्ति मिल जाएगी और आप स्वस्थ हो जाएंगे।
शीतला अष्टमी के दिन ये उपाय करना ना भूलें
शीतला अष्टमी के दिन आप पूजा करने के बाद माता को जल अर्पित करें और उसमें से कुछ जल बचा लें। इस जल को माता शीतला का ध्यान करके घर की सभी जगहों पर छिड़क लें और माता से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें। अगर आप ये उपाय करेंगे तो आपके घर में सुख शांति आ जाएगी।
कुमकुम, अक्षत और लाल फूल चढ़ाएं
आप माता शीतला की पूजा करने के बाद उन्हें कुमकुम अक्षत और लाल रंग के फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से मां आपकी मनोकामना पूरी करेंगे और बीमारियों से मुक्ति दिलाएंगी। साथ ही सुख शांति के लिए “‘वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,मार्जनीकलशोपेत…” मंत्र का जाप करें। इससे देवी आपकी मनोकामना पूरी करेंगी।