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मिट्टी के बर्तन में बनाकर खाएंगे खाना तो डॉक्टर से भी मिलेगा छुटकारा

आज की भागती दौड़ती जिंदगी मैं हर कोई जल्दी मे हैं । जिस का सीधा असर सबके खानपान में सबसे ज्यादा दिखता है। जल्दबाजी में पकाया गया और जल्दबाजी में खाना स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह होता है। वैसे भी आज के समय में जहा लोगो के पास अपने लिए सामी नहीं है वो खाना बनाने के लिए जिन बर्तनों जैसे एल्युमिनियम (aluminum) का भगोना और कूकर (cooker) , का प्रयोग कर रहे है उसमें भोजन पकता नही बल्कि उसे भाप से गलाता है। वे सारी चीजें केवल आपको बीमार कर रही हैं। जिससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पैरालिसिस (TB, Diabetes, Asthma and Paralysis) जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने के अपने फायदे हैं जिनके बारे में हम में से बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है।

भारत (India) में कई हजार वर्ष पूर्व खाना पकाने और खाने के लिये मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पका खाना खाने से हमारा शरीर बहुत से रोगों से दूर रहता है। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से न केवल कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं बल्कि यह हमारे खाना पकाने की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है और साथ ही हमें अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन देता है। आयुर्वेद (ayurveda) भी मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने का सुझाव देता है। इसके अलावा मिट्टी के बर्तन में खाना बनाना एक सामान्य बर्तन में पकाने से बहुत बेहतर है क्योंकि यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता में सुधार करता है।

क्यों फायदेमंद है मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने की शुरुआत करने का सबसे ठोस कारण यह है कि यह आपके भोजन में हानिकारक धातुओं (harmful metals) की कमी नहीं करता है । शायद आप नहीं जानते होगें की एल्युमीनियम बर्तन (aluminum pot) में खाना पकाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व, पीतल के बर्तन में 7 प्रतिशत पोषक और कांसे के बर्तन में 3 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। मिट्टी के बर्तन ही ऐसे हैं जिनमें खाना बनाने से 100 प्रतिशत पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने के लिए भी तेल की आवश्यकता नहीं होती है और इसलिए, यह देखा गया है कि मिट्टी के बर्तनों में पकाया गया भोजन किसी अन्य बर्तन में तैयार भोजन की तुलना में वसा में कम होता है।

मिट्टी के बर्तन स्वादिष्ट भोजन सुनिश्चित करते हैं
मिट्टी के बर्तनों की धीमी गति से खाना पकाने और झरझरा प्रकृति के कारण, बर्तन में नमी और सुगंध बिना किसी पोषक तत्व को खोए रहती है, जिससे यह स्वादिष्ट होता है.इसके अलावा, इसमें खाना बनाने से मिट्टी का स्वाद आपके खाने को और स्वादिष्ट बनाता है जो कि आपको किसी अन्य बर्तन में नहीं मिल सकता है।

नहीं खत्म होते हैं माइक्रो न्यूट्रिएंट्स
मिट्टी के बर्तन में बनी दाल और सब्जी में 100 प्रतिशत माइक्रो न्यूट्रीएंट्स (micronutrients) रहते हैं जबकि, प्रेशर कुकर में बनी दाल और सब्जी के 87 प्रतिशत पोषक तत्व एल्युमिनियम के पोषक-तत्वों द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं। इसलिए अब डाइटिशियन और न्यूट्रिशियन भी मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने की सलाह देने लगे हैं।

गैस की समस्या से राहत
मिट्टी के तवे पर बनी रोटी खाने से गैस की समस्या (gas problem) दूर रहती है। दिनभर ऑफिस में बैठने के कारण गैस की परेशानी है तो मिट्टी के तवे पर बनी रोटी खाएं। कुछ ही दिनों में राहत मिलेगी।

बीमारियों से बचाव
मिट्टी के बर्तन खाने में मौजूद किसी भी पोषक तत्व को खत्म होने से रोकते है। जिससे हमारे शरीर को पूरे पोषक तत्व मिलते है, यह पोषक तत्व शरीर को बीमारियों से बचाने (protect against diseases) का काम करते हैं।

कब्ज से राहत
भागदौड़ भरी जिंदगी और बदलती जीवनशैली के बीच कब्ज की समस्या (constipation problem) आम हो गई है क्योंकि आजकल लोग बिजी होने के कारण जल्दी-जल्दी ऑफिस या काम पर जाने के लिए घर का बना खाना भूल जाते है और बाहर से मिलने वाले फॉस्ट फूड्स पर डिपैंड हो चुके है। ऐसे में कब्ज की परेशानी रहती है। अगर आपको भी यह समस्या रहती है तो तवे पर बनी रोटी जरूर खाएं।

pH लेवल रहता है बैलेंस
मिट्टी के एल्कलाइन गुण (alkaline properties) भोजन में उपलब्ध एसिड के साथ प्रक्रिया कर शरीर में pH को निष्क्रिय या नियंत्रित करता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरुरी है।

मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर
मिट्टी के बरतनों में खाना पकाने से आपका भोजन अधिक पौष्टिक होता है क्योंकि यह आपके भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स और विटामिन्स को शामिल करता है।

इन बातों का रखें ध्यान
मिट्टी के बर्तन को यूज करने से पहले लगभग 12 घंटे पानी में भिगोकर रखें यानि रात भर इन बर्तनों को पानी में रखें और सुबह सुखाने के लिए रख दें। बड़े बर्तनों को बस पहली बार ही 12 घंटों के लिए भिगोना है और छोटे बर्तनों को जैसे गिलास, कटोरी, दही जमाने की हांडी चम्मच, कप आदि को 6 घंटे भिगोना काफी है। उसके बाद मध्यम आंच पर रखें और इसमें पके पौष्टिक भोजन का आनंद लें।

 

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