सियासी तर्जुमा

अकेले हैं चले आओ, जहाँ हो, कहाँ आवाज दें तुमको, कहाँ हो…

इंदौर में इन दिनों...

 गप-सच

ललित उपमन्यु

जीतू पटवारी विधानसभा से कुछ दिनों के लिए बेदखल कर दिए गए। जिस तरह से उन्होंने धूम मचाई थी, कुछ तो होना था। मुद्दे और सबूतों के सही-गलत होने के बात फिर कभी। अभी तो कहानी यह है कि बेदखल होने के बाद जितनी तेजी से जीतू को पार्टी का साथ मिला था, उतनी तेजी से कुछ घंटों में वे कांग्रेस में अकेले भी रह गए। अब रह गए या छोड़ दिए गए हमें ना मालूम जी…हमें तो इतना मालूम है कि जीतू भैया की राजनीति फार्मूल वन रेस के माफिक दौड़ रही है और यही रफ्तार कांग्रेस में कई को भा नहीं रही है सो, पहले तो उन्हें दौड़ा देते हैं फिर सब पीछे ठहरकर अकेला दौड़ने छोड़ देते हैं। अब इसका क्या इलाज। जीतू धीरे दौड़ें तो पीछे रह जाएंगे और आगे दौड़ रहे हैं तो अकेले दौड़ें। कोई बीच का रास्ता निकालो जीतू भैया। एकाध स्टापेज दे दो ना गाड़ी में। यूँ तो दौड़ते-दौड़ते दिल्ली निकल जाओगे। प्रदेश पीछे छूट जाएगा।

नेता, नमक और नेताओं की बल्ले-बल्ले

पांच नंबर विधानसभा में एक क्षेत्र है। नाम नहीं बताएंगे बस पढ़ते जाइए कहानी-किस्सा। इस क्षेत्र के नेताओं-कार्यकर्ताओं की इन दिनों बल्ले-बल्ले हो रही है। एक नेता आते हैं तंबू सजाते हैं और खूब खाना-खजाना होता है। दूसरे नेता को मालूम पड़ता है कि पहला गया था और उसने प्लेट में ये-ये परोसा। वो नया तंबू लगाता है और प्लेट और भारी कर देता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं तंबू, तरकारी का मौसम बढ़ता जा रहा है। बीते दो-तीन महीनों में दोनों के दो-दो, तीन-तीन तंबू तो सज ही चुके हैं। इशारों-इशारों में बताए देते हैं कि ये इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, फिर बरसों भाजपा के साथ गया। बीते दो छोटे-बड़े चुनाव में फिर पंजा-पंजा हो गया है। इसलिए टिकट के दावेदार पंजे वाले दो नेता चाहते हैं कि यहाँ पंजे का मौसम बना रहे इसलिए बार-बार नमक खिला रहे हैं। डर ये है कि इन दोनों हमदलीय नेताओं के नमक के चक्कर में कहीं इलाका फिर भाजपाई न हो जाए। देख लियो भैया जी ।

धरम-धरम का साथ है हमारा-तुम्हारा…

महू और देपालपुर विधानसभा में भाजपा के बड़े नेता तो अपना काम कर ही रही रहे हैं, कुछ उभरते नेता  इस कदर काम कर रहे हैं कि बड़े नेताओं को धर्म संकट में डाल दिया है। क्या करें क्या न करें। रोकें तो बुरे बने क्योंकि काम धरम-करम का हो रहा है और न रोकें तो मुसीबत। क्योंकि इससे दोनों का मौसम बन जाएगा क्षेत्र में। महू में हिंदूवादी नेता लोकेश शर्मा लगातार धार्मिक आयोजनों के जरिए भक्तों, समर्थकों की मेला लगा रहे हैं तो देपालपुर में राजेंद्र चौधरी ऐसे ही धरम की गंगा बहा रहे हैं। दोनों ने धीरे-धीरे अपने-अपने क्षेत्र में अपनी चाल और चेहरा तो जमा ही लिया है। अब इन महानुभावों का इरादा क्या है या तो ये खुद जानें या भगवान जानें। हमें का लीजो-दीजो..।

आना है तो आओ, बुलाएंगे नहीं…

पुरुष कांग्रेस की तरह महिला कांग्रेस में भी इन दिनों सबकुछ कुशल-मंगल नहीं चल रहा है। हमारे-तुम्हारे, वरिष्ठ-कनिष्ठ जैसे मुद्दे हावी हैं। नई-नई नेता बनीं और फिर महिला कांग्रेस की नई अध्यक्ष बना दी गईं साक्षी शुक्ला पुरानों के गले उतर नहीं रही हैं। हमारे-तुम्हारे तो होना ही है। नई को कुछ नहीं मानने के लिए पुरानी सक्रिय हो गईं हैं। नई हैं कि मानने को राजी नहीं हैं। दोनों के झंडे अलग-अलग लहरा रहे हैं। हुआ यूँ कि साक्षी एंड कंपनी जब कमिश्नर ऑफिस पर महंगाई के खिलाफ भीड़ भरा आंदोलन करती हैं तो वरिष्ठ नेता नदारत रहीं और जब राजवाड़ा पर वरिष्ठों ने सिलेंडर के बढ़ते भावों पर झंडा लहराया तो अध्यक्ष एंड कंपनी का पता नहीं था। कोई ना…चलने दो। भले ही अलग-अलग ही सही कम से कम कांग्रेस के आयोजन तो हो रहे हैं। सकारात्मक सोचें-स्वस्थ रहें। पार्टी हित में जारी।

कुछ सुना क्या..

टिकट के इच्छाधारी एक नेताजी बहुतई कन्फ्यूज हुए जा रहे हैं..। जिधर नजर दौड़ाते हैं कोई न कोई दावेदार पहले से डटा मिलता है। कोई इन्हें राह बताओ और पुण्य कमाओ भाई। मामला भाजपा का है।

 

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