मेगास्टार अमिताभ बच्चन कैसे शून्य से बने महानायक ?
बॉलीवुड के बिग बी कहे जाने वाले मेगास्टार अमिताभ बच्चन हैदराबाद में शूटिंग के दौरान घायल हो गए हैं। एक्शन सीन करते हुए अमिताभ बच्चन को चोट लग गई है। चोट लगने की वजह से शूटिंग को कैंसिल करना पड़ा है।

बॉलीवुड के बिग बी कहे जाने वाले मेगास्टार अमिताभ बच्चन हैदराबाद में शूटिंग के दौरान घायल हो गए हैं। एक्शन सीन करते हुए अमिताभ बच्चन को चोट लग गई है। चोट लगने की वजह से शूटिंग को कैंसिल करना पड़ा है। बिग बी डॉक्टर्स की निगरानी में हैं। उनका ट्रीटमेंट चल रहा है। 1982 मे कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान भी बिग बी गंभीर रूप से घायल हो गये थे, जिसके लिये उनके चाहने वालों ने बहुत प्रार्थना की और वह ठीक भी हो गये। अब उनके चाहने वालों को फिर बड़ा झटका लगा है। और फिर से मेगास्टार अमिताभ बच्चन के जल्द ठीक होने के लिए दुआओं का दौर शुरु हो चुका है। अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा में सहस्राब्दि महानायक के रूप में जाने जाते हैं। अमिताभ बच्चन 80 वर्ष की अवस्था में भी बॉलीवुड के सबसे नामी अभिनेताओं में शुमार किए जाते हैं। देश का ऐसा कोई भी शख्स नहीं होगा, जो अमिताभ की संवाद अदायगी और उनके अभिनय का कायल नहीं होगा। अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड का महानायक कहा जाता है। बिग से पहले उनके परिवार का फिल्म इंडस्ट्री से कोई ताल्लुक नहीं था। इसके साथ ही फैंस उन्हें प्यार से बिग बी भी कहते हैं। ऐसे में यहां ये जानना जरुरी हो जाता है कि आखिर बिग बी ने शून्य से महानायक बनने का पूरा सफर कैसे तय किया।
जन्म से नाम बदलने तक की कहानी
अमिताभ बच्चन का जन्म मशहूर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर हुआ था। आप को जानकारी के लिए बता दें अमिताभ बच्चन का पूरा नाम अमिताभ हरिवंश श्रीवास्तव है। इनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में हुआ था। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन का पहले इंकलाब रखा गया था…लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने इनका नाम ‘अमिताभ’ रखा। नाम बदलने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे। बचपन में अमिताभ का नाम इंकलाब था। दरअसल जब अमिताभ बच्चन पैदा हुए उस समय महात्मा गांधी 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत कर चुके थे। इसी के ठीक दो दिन बाद अमिताभ का जन्म हुआ। अगस्त क्रांति से प्रेरित होकर हरिवंश राय बच्चन ने अपने बेटे का नाम इंकलाब रख दिया। कहते हैं जिस समय हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन नर्सिंग होम में थे। तभी उनके प्रिय मित्र सुमित्रानंदन पंत वहां पहुंचे और कहा कि यह नवजात कितना शांत दिख रहा है, मानो ध्यानस्थ हो। इसके बाद हरिवंश राय बच्चन ने इंकलाब से नाम बदलकर अमिताभ रख दिया।
शिक्षा से नौकरी तक का सफर
बच्चन ने दो बार एम. ए. की डिग्री ली है। मास्टर ऑफ आर्ट्स उन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहां कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए। किरोड़ीमल कॉलेज में अध्ययन के दौरान ही महानायक अमिताभ बच्चन के मन में अभिनय की इच्छा जाग्रत हो चुकी थी, ऐसे में इन्होंने कालेज के दिनों से थियेटर करना शुरू कर दिया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के कुछ दिनों बाद अपनी जीविका चलाने के लिए अमिताभ बच्चन ने कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी भी की। एक बार अमिताभ बच्चन नौकरी के लिए ऑल इंडिया रेडियो भी गए थे, लेकिन उनकी आवाज को अनफिट करार दिया गया था, आज अमिताभ की आवाज के करोड़ों दीवाने हैं। जहां तक फिल्मों की बात है, यह कहना बिल्कुल लाजिमी है कि अमिताभ जहां खड़े हो जाते हैं, वहीं लाइन शुरू होती है। अमिताभ बच्चन की संवाद अदायगी और फिल्मी सफरनामा इतना विस्तृत है कि उसे शब्दों में बयान करना इतना आसान नहीं है।
करियर की शुरुआत और प्रसिद्ध फिल्में
अमिताभ बच्चन की शुरूआत फिल्मों में वॉयस नैरेटर के तौर पर फिल्म ‘भुवन शोम’ से हुई थी, लेकिन अभिनेता के तौर पर उनके करियर की शुरूआत फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से हुई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में कीं, लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाईं। फिल्म ‘जंजीर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने लगातार हिट फिल्मों की झड़ी तो लगाई ही, इसके साथ ही साथ वे हर दर्शक वर्ग में लोकप्रिय हो गए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा भी मनवाया। उनकी प्रसिद्ध फिल्मों की बात करें तो सात हिंदुस्तानी, आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ जैसी शानदार फिल्मों ने ही उन्हें सदी का महानायक बना दिया।
बिग बी को मिले कई पुरस्कार
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 14 बार उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। फिल्मों के साथ साथ वे गायक, निर्माता और टीवी प्रजेंटर भी रहे हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा है।
अमिताभ के करियर में भी आया था बुरा दौर
अमिताभ के करियर में भी बुरा दौर आया था। उनकी फिल्में अच्छा बिजनेस कर रही थीं कि अचानक 26 जुलाई 1982 को कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लगी गई। दरअसल, फिल्म के एक एक्शन दृश्य में अभिनेता पुनीत इस्सर को अमिताभ को मुक्का मारना था और उन्हें मेज से टकराकर जमीन पर गिरना था। लेकिन जैसे ही वे मेज की तरफ कूदे, मेज का कोना उनके आंतों में लग गया जिसकी वजह से उनका काफी खून बह गया और स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि ऐसा लगने लगा कि वे मौत के करीब हैं, लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से वे ठीक हो गए। फिर नब्बे का दशक ऐसा था जब बीग बी के ऊपर बहुत कर्जा हो गया था। इनकी फिल्में भी फ्लॉप हो रहीं थी। तब सन् दो हजार मे टेलीविजन शो मे होस्ट के रूप मे एक ऑफर आया, जिसे इन्होंने स्वीकार किया वह शो था “कौन बनेगा करोड़पति”। इस शो से इनके जीवन मे फिर बदलाव आया और तब से आज तक यह शो यही होस्ट कर रहे है।
अमिताभ राजनीति में भी कर चुके हैं एंट्री
राजनीति 1982 मे कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए अभिताभ बच्चन ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन इस दौरान उन्हे चुनाव लड़ने का प्रस्ताव मिल गया। जिसे उन्होने मंजूर भी कर लिया था। अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती जगजाहिर है। इन दोनों के बीच दोस्ती इतनी प्रगाढ़ थी कि कभी-कभी राजीव गांधी अमिताभ से मिलने फिल्म शूटिंग प्वाइंट पर भी पहुंच जाते थे। फिल्म ‘गंगा की सौगंध’ शूटिंग के दौरान भी राजीव अमिताभ से मिलने जयपुर आए थे। कहते हैं राजीव गांधी ने ही अमिताभ को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया था। आप को बता दें कि साल 1984 में अमिताभ बच्चन बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और भारी मतों से अपने प्रतिदंवदी को हराया। लेकिन बच्चन का राजनीतिक करियर बहुत छोटा रहा। मात्र 3 साल बाद ही अमिताभ बच्चन ने सांसद पद से इस्तीफा ही नहीं दिया, बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए राजनीति से संन्यास भी ले लिया।