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रिटायरमेंट के 7 साल बाद वसूली आदेश को हाईकोर्ट ने माना गैरकानूनी

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सेवानिवृत्ति के सात साल बाद वसूली आदेश जारी करते हुए राशि की कटौती किए जाने को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैधानिक माना है.

हाईकोर्ट चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने सरकार की अपील को खारिज कर दी. युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश की पुष्टि करते हुए कटौती की गई राशि का भुगतान ब्याज सहित करने के आदेश जारी किये हैं.

सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अनावेदक रामराव भीमटे पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर पदस्थ हुए थे. पदोन्नति पाते हुए वह साल जुलाई 2017 में सेवानिवृत्त हुए थे.

सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में उन्हें 10 लाख 87 हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया था. जिसकी कटौती के लिए डीआईजी भोपाल के द्वारा सितम्बर 2024 में आदेश जारी किये थे.

राशि की कटौती पेंशन से किए जाने के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कटौती की गई राशि का भुगतान 6 प्रतिशत ब्याज के साथ करने के आदेष जारी किये थे, जिसके खिलाफ सरकार की तरफ से यह अपील दायर की गई है.

युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के सात साल बाद अतिरिक्त भुगतान राशि की कटौती नहीं कर सकते है. युगलपीठ ने एकलपीठ ने आदेश की पुष्टि करते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अतुल कुमार राय ने पैरवी की.

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