ग्वालियर

डॉक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाई न लिखे जाने पर नाराज हाईकोर्ट, केन्द्र और राज्य से मांगा जवाब

ग्वालियर। राज्य में फैली कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान डॉक्टरों (doctors) द्वारा जेनेरिक दवाई (Generic medicine) न लिखने को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) की युगल पीठ ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने महंगी दवाएं (Expensive drugs) आम लोगों के खरीदने के मामले में गंभीर चिंता जाहिर की है। साथ ही केंद्र सरकार (central government), राज्य सरकार (state government) और ड्रग कंट्रोलर (Drug controller) से इस संबंध में जवाब मांगा है। 7 जून को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए शासन को तलब भी किया है। शासन को उपस्थित होकर बताना होगा कि डॉक्टर Generic medicine क्यों नहीं लिख रहे हैं? कंपनियों के ब्रांड क्यों लिखे जा रहे हैं?

एडवोकेट विभोर कुमार ने हाई कोर्ट में जेनेरिक दवाओं (Generic drugs) को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि कोरोना संक्रमण (Corona infection) के दौर में और अब उसके बाद ब्लैक फंगस (Black fungus) जैसी बीमारी लगातार लोगों को घेर रही है। इस बीमारी में एनफो टेरेसिन बी-50 एमजी इंजेक्शन (Enfo Teresin B-50mg Injection) दिया जाता है, यह इंजेक्शन दो बार लगाया जाता है। दो इंजेक्शन की कीमत लगभग 14 हजार रुपए पर पड़ती है। डॉक्टर कंपनी और ब्रांच के नाम से इंजेक्शन (Injection) लिख रहे हैं। जिस कारण परेशान और पीड़ितों को महंगाई में यह इंजेक्शन खरीदना पड़ता है, जबकि यह इंजेक्शन जेनरिक दवाइयों में 269 रुपये का मिल रहा है। कोर्ट के सामने अधिवक्ता ने Online जेनरिक दवाओं के दाम भी दिखाए, जिसमें यह इंजेक्शन बहुत कम दाम में मिल रहे हैं। इसको लेकर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दवाइयों के रेट में इतना अंतर क्यों है?





सरकार ने मांगा समय यचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति
कोर्ट ने शासन से इस मामले में जवाब मांगा। इस पर केंद्र और राज्य शासन (State government) ने इस मामले पर जवाब देने के लिए समय मांगा, लेकिन याचिकाकर्ता ने आपत्ति करते हुए कहा कि पिछले एक साल से समय ले रहे हैं, लेकिन जवाब नहीं दे रहे हैं। जेनेरिक में जो टेबलेट 3 से 5 रुपये की मिल सकती है, वहीं दवा कंपनी ब्रांड के नाम से 20 से 25 रुपए की मिल रही है। लोगों को इसके लिए कई गुना पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। जेनेरिक मेडिसिन (Generic medicine) को लेकर 2016 में कानून भी बनाया गया था। इस कानून के तहत डॉक्टर जेनेरिक दवाइयां लेने की सलाह देंगे। अधिकतर डॉक्टर दवाइयों का ब्रांड लिख रहे हैं। इससे महंगी दवाई मिल रही है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र व राज्य शासन के ड्रग कंट्रोलर को तलब किया है।

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