मध्यप्रदेश

सियासत: सिंधिया-तोमर के बीच बढ़ रही खाई- सीएम के साथ बैठक में दोनों ने कोरोना पर अफसरों को दिए अलग-अलग निर्देश

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) और भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की बढ़ती दखलंदाजी के अब साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। ग्वालियर में सिंधिया की बढ़ती सक्रियता के कारण उनके और केन्द्रीय मंत्री तोमर (Union Minister Tomar) के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। ग्वालियर की सियासत में BJP के दो बड़े नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) द्वारा ग्वालियर (Gwalior) में कोरोना महामारी (Pandemic) को लेकर 16 मई को क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (Crisis Management Group) की बैठक ली। इस बैठक के बाद सोशल मीडिया (social media) पर यह मैसेज ट्रेंड करने लगे हैं कि सिंधिया की केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दूरी खाई में बदलने लगी है। मुख्यमंत्री की एक बैठक के बाद दोनों की सोशल मीडिया पोस्ट यही इशारा कह सकते हैं।

बैठक के बाद दोनों ही नेताओं ने सोशल मीडिया पर अफसरों (Officers) को अलग-अलग निर्देश देना बताया। बैठक के बाद सबसे पहले सिंधिया ने सोाशल मीडिया पर लिखा- कोरोना संक्रमण (Corona infection) की समीक्षा बैठक में ग्वालियर संभाग में आॅक्सीजन, दवा व बेड की कमी को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग किया, लेकिन केंद्रीय मंत्री तोमर के नाम का उल्लेख नहीं किया। इसके कुछ घंटे बाद केंद्रीय मंत्री तोमर ने social media पर बैठक की फोटो शेयर की। उन्होंने भी लिखा- अफसरों को दिशा-निर्देश दिए गए। तोमर ने भी मुख्यमंत्री को टैग किया, लेकिन सिंधिया को नहीं, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने social media पर दोनों को टैग किया।





उप चुनाव में बढ़ने लगी थी दूरियां
बीजेपी सूत्रों के अनुसार सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरूआत तो उपचुनाव (By-elections) के दौरान ही हो चली थी और नतीजे आने के बाद यह दूरी साफ नजर आने लगी थी। मुरैना शराब कांड (Wine case) ने साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले हुआ करते थे। उपचुनाव के बाद इसी साल जनवरी में सिंधिया के ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) इलाके का दौरा नई सियासी कहानी की शुरूआत हो गई थी। वे मुरैना के उन दो गांव में पहुंच गए थे, जहां जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। यह दोनों गांव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है।

सिंधिया ने यहां पहुंचकर पीड़ितों का न केवल दर्द बांटा बल्कि प्रभावितों के परिवारों को अपनी तरफ से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी थी। सिंधिया ने प्रभावितों के बीच पहुंचकर भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार (state government) दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही कहा कि वे लोगों के सुख में भले खड़े न हों लेकिन संकट के समय उनके साथ हैं।





BJP का एक भी बड़ा नेता नजर नहीं आया था
सिंधिया के मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता तो उनके साथ नजर नहीं आया था। बल्कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तमाम बड़े नेता जैसे राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyumna Singh Tomar), सुरेश राठखेड़ा (Suresh Rathkhera), ओपीएस भदौरिया (OPS Bhadauria) आदि मौजूद रहे। संगठन से जुड़े लोग और मंत्री भारत सिंह कुशवाहा (Bharat Singh Kushwaha) जो तोमर के करीबी माने जाते हैं उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी थी।

अगले ही दिन पहुंच गए थे तोमर
सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शराब कांड प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा को सुना था। तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया का समर्थक कोई भी मंत्री नजर नहीं आया। उस समय तोमर ने कहा था- घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार टेलीफोन पर संपर्क में रहा। जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है।

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button